
Child Case: केरल हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रांसजेंडर कपल के बच्चे के लिए जेंडर-न्यूट्रल बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया।
माता या पिता की जगह सिर्फ ‘पैरेंट’ लिखा जाए
यह आदेश ट्रांस मैन ज़हाद और ट्रांस वुमन ज़िया पावल की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जियाद रहमान ए. ए. ने दिया। कोर्ट ने कोझिकोड कॉर्पोरेशन को निर्देश दिया कि बर्थ सर्टिफिकेट फॉर्म-5 में बदलाव कर माता-पिता के कॉलम हटाए जाएं और दोनों याचिकाकर्ताओं के नाम ‘पैरेंट’ के रूप में दर्ज किए जाएं, बिना उनके जेंडर का उल्लेख किए। कोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में माता या पिता की जगह सिर्फ ‘पैरेंट’ लिखा जाए और दोनों अभिभावकों को समान रूप से पैरेंट के रूप में पहचाना जाए।
क्या था मामला
इस कपल ने कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि स्थानीय प्रशासन उनके बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में बदलाव करने से इनकार कर रहा है। पहले जारी सर्टिफिकेट में ज़हाद को ‘मां (ट्रांसजेंडर)’ और ज़िया को ‘पिता (ट्रांसजेंडर)’ लिखा गया था।
पहला ऐसा मामला
यह कपल 8 फरवरी 2023 को कोझिकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में माता-पिता बना था। माना जाता है कि यह भारत में ऐसा पहला मामला है, जब एक ट्रांसजेंडर कपल ने जैविक रूप से बच्चा जन्मा।
बायोलॉजिकल बच्चा पाने का फैसला क्यों लिया
ज़हाद, जो पुरुष बनने की प्रक्रिया में थे, उन्होंने हार्मोन थेरेपी रोककर गर्भधारण किया। शुरुआत में कपल ने गोद लेने का विचार किया था, लेकिन कानूनी प्रक्रिया जटिल होने के कारण उन्होंने यह योजना छोड़ दी। उन्हें यह भी डर था कि अगर गोद लिया बच्चा भविष्य में उन्हें छोड़ दे तो भावनात्मक नुकसान होगा। इसके बाद उन्होंने जैविक बच्चा पैदा करने का फैसला किया।
कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी
फिलहाल कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है, लेकिन यह फैसला ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।