
CAG REPORT: विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर नीति ढांचे से लेकर अपर्याप्त कार्यान्वयन तक के कारणों से 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का संचयी नुकसान हुआ।
विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश भी तत्कालीन मंत्री ने नजरअंदाज किया
14 में से एक रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिह्नित किया गया है। इसमें बताया गया है कि अब समाप्त हो चुकी नीति के निर्माण के लिए बदलाव का सुझाव देने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था। कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट, जो चुनावों से पहले एक बड़ा मुद्दा था, में 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का दावा किया गया था, जिसमें कहा गया था कि गैर-अनुरूप नगरपालिका वार्डों में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई थी। गैर-अनुरूप क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जो शराब की दुकानें खोलने के लिए भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।
आबकारी शुल्क में छूट की मांग लाइसेंसधारकों ने की थी
लाइसेंसधारियों ने 28 दिसंबर, 2021 से 4 जनवरी, 2022 तक कोविड प्रतिबंध का हवाला देते हुए आबकारी शुल्क विभाग से छूट की मांग की। उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी, 2022 को अपने आदेश में विभाग से मामले पर एक तर्कसंगत आदेश पारित करने को कहा। आबकारी शुल्क और वित्त विभागों ने मामले की जांच के बाद प्रस्ताव दिया कि कोविड प्रतिबंधों के कारण लाइसेंस शुल्क में आनुपातिक छूट पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए निविदा दस्तावेज में कोई प्रावधान नहीं है। विभाग के प्रभारी मंत्री ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 की अवधि के दौरान बंद दुकानों के लिए प्रत्येक क्षेत्रीय लाइसेंसधारी को छूट देने को मंजूरी दे दी गई। इसमें कहा गया है कि मंत्री (मनीष सिसोदिया) ने मंजूरी इस कारण से दी थी कि सरकार ने कोविड लॉकडाउन के दौरान होटल, क्लब और रेस्तरां (एचसीआर) को आनुपातिक शुल्क माफी का लाभ दिया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है, इससे सरकार को लगभग 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सुरक्षा जमा के गलत संग्रह से भी हुआ नुकसान
रिपोर्ट में लाइसेंसधारियों से सुरक्षा जमा के “गलत” संग्रह के कारण 27 करोड़ रुपये के नुकसान का भी उल्लेख किया गया है।तत्कालीन डिप्टी सीएम और उत्पाद शुल्क मंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने नीति तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को बदल दिया। इसमें कहा गया है कि समिति की सिफारिश के खिलाफ जाते हुए, जीओएम ने निजी पार्टियों को थोक शराब संचालन को संभालने की अनुमति दी, दुकानों को आवंटित करने के लिए लॉटरी प्रणाली के बजाय एक बार बोली लगाने की शुरुआत की, जिससे बोली लगाने वालों को प्रति व्यक्ति अनुशंसित दो की तुलना में 54 दुकानें रखने की अनुमति मिली।
बगैर कैबिनेट व एलजी की मंजूरी के हुए काम
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व संबंधी कुछ फैसले कैबिनेट की मंजूरी और उपराज्यपाल की राय के बिना लिए गए। इनमें डिफॉल्टर लाइसेंसधारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई से छूट, लाइसेंस शुल्क में छूट, हवाईअड्डा क्षेत्र के मामले में जमा की गई बयाना राशि की वापसी, विदेशी शराब की अधिकतम खुदरा कीमत की गणना के लिए सूत्रों में सुधार शामिल हैं।
आबकारी नीति की कैग रिपोर्ट की अहम बातें
- इन क्षेत्रों के लाइसेंस शुल्क के कारण उनके आत्मसमर्पण और विभाग की पुन: निविदा में विफलता के कारण उत्पाद शुल्क विभाग को लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- कोविड महामारी से संबंधित बंद के कारण लाइसेंसधारियों को छूट के अनियमित अनुदान के कारण 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
- मास्टर प्लान दिल्ली-2021 में गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक है, लेकिन आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलना अनिवार्य है।
- नई दुकानें खोलने के लिए निविदा दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी शराब की दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में स्थित नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कोई दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में थी, तो उस पर सरकार की पूर्व मंजूरी से विचार किया जाना था।
- आबकारी विभाग ने गैर-अनुरूप क्षेत्रों में प्रस्तावित दुकानों के लिए तौर-तरीकों पर काम करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की और प्रारंभिक निविदा डीडीए और एमसीडी से टिप्पणी लिए बिना 28 जून, 2021 को जारी की गई थी। इस मुद्दे के सुलझने से पहले ही अगस्त 2021 में लाइसेंस आवंटित कर दिए गए थे और दुकानें 17 नवंबर, 2021 से परिचालन शुरू करने वाली थीं। इस बीच, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 16 नवंबर, 2021 को एक आदेश जारी किया, जिसमें गैर-अनुरूप क्षेत्रों में दुकानों की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद लाइसेंसधारियों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
- 9 दिसंबर, 2021 को अदालत ने उन्हें 67 गैर-अनुरूप वार्डों में अनिवार्य दुकानों के संबंध में किसी भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने से छूट दे दी। इससे प्रति माह 114.50 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस से छूट मिली।
- निविदा आमंत्रण नोटिस (एनआईटी) से पहले इस मुद्दे को नहीं सुलझाने के परिणामस्वरूप यह छूट हुई और लगभग 941.53 करोड़ रुपये का संचयी नुकसान हुआ।
- 19 जोनल लाइसेंसधारियों ने अगस्त 2022 में नीति समाप्त होने से पहले अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए थे – चार ने मार्च 2022 में, पांच ने मई 2022 में और 10 ने जुलाई 2022 में। हालांकि, इन क्षेत्रों में खुदरा दुकानों को चालू करने के लिए आबकारी विभाग द्वारा कोई पुन: निविदा प्रक्रिया शुरू नहीं की गई थी। परिणामस्वरूप, समर्पण के बाद के महीनों में इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में कोई उत्पाद शुल्क अर्जित नहीं हुआ। विशेष रूप से, इन क्षेत्रों में शराब की खुदरा बिक्री जारी रखने के लिए कोई अन्य आकस्मिक व्यवस्था नहीं की गई थी।
- सीएजी ने रिपोर्ट में कहा, ऑडिट में पाया गया कि कमजोर नीति ढांचे से लेकर नीति के अपर्याप्त कार्यान्वयन तक कई मुद्दों के कारण लगभग 2,002.68 करोड़ का संचयी नुकसान हुआ।