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CAG REPORT-4: दिल्ली आबकारी नीति पर सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, शराब के कई थोक विक्रेता भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) मानदंडों के अनुपालन की पुष्टि करने वाले अनिवार्य गुणवत्ता परीक्षण प्रस्तुत करने में विफल रहे।
शराब के विभिन्न ब्रांडों के गुणवत्ता पर भी उठाए गए सवाल
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने कहा कि इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि उत्पाद शुल्क विभाग सक्रिय रूप से शराब की गुणवत्ता की निगरानी करे और कड़े गुणवत्ता मानक बनाए और उनका अनुपालन सुनिश्चित करे। कैग रिपोर्ट के मुताबिक, जबकि विभिन्न ब्रांडों के लिए पानी की गुणवत्ता, हानिकारक सामग्री, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल, सूक्ष्मजीवविज्ञानी की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। 2021-22 की आबकारी नीति पर रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 51 प्रतिशत विदेशी शराब परीक्षण मामलों में, रिपोर्ट या तो 1 वर्ष से अधिक पुरानी थी, गायब थी, या कोई तारीख नहीं थी।
परीक्षण रिपोर्ट बीआईएस विनिर्देशों के अनुरूप नहीं थीं…
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना कि दिल्ली में आपूर्ति की जाने वाली शराब निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है, आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है। कहा गया है कि नियम थोक विक्रेताओं के लिए लाइसेंस जारी करते समय विभिन्न परीक्षण रिपोर्ट जमा करना अनिवार्य बनाते हैं। ऑडिट में ऐसे कई उदाहरण देखे गए जहां परीक्षण रिपोर्ट बीआईएस विनिर्देशों के अनुरूप नहीं थीं और उत्पाद शुल्क विभाग ने बड़ी कमियों के बावजूद लाइसेंस जारी किए। विभिन्न ब्रांडों के लिए पानी की गुणवत्ता, हानिकारक सामग्री, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल, सूक्ष्मजीवविज्ञानी परीक्षण रिपोर्ट आदि की महत्वपूर्ण परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गईं।
जांच के दौरान कई दोषपर्णू परीक्षण प्रमाण पत्र भी मिले
रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइसेंसधारियों द्वारा प्रस्तुत कुछ परीक्षण रिपोर्ट ऐसी प्रयोगशालाओं से थीं, जो एफएसएसएआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थीं।सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच की गई रिपोर्टों की जांच के दौरान दोषपूर्ण परीक्षण प्रमाण पत्र भी देखे गए।