
Bombay High court
Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने पॉक्सो मामले की सुनवाई में कहा है कि किसी लड़की का पीछा करने का एक अकेला उदाहरण पीछा करने का अपराध (स्टॉकिंग) बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। हाईकोर्ट का यह फैसला वर्ष 2022 में अकोला की सत्र अदालत के निर्देश की अपील के मामले में दिया गया।
वर्ष 2020 में हुई थी घटना
पॉक्सो के मामले में अकोला सत्र अदालत ने वर्ष 2020 में 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ और पीछा करने के लिए दोनों आरोपी को दोषी ठहराया था। उन्हें छेड़छाड़ के आरोप में पांच साल और लड़की का पीछा करने के आरोप में तीन साल जेल की सजा सुनाई थी।
मामला: दो लड़कों ने लड़की का पीछा किया था
अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि दोनों ने लड़की का पीछा किया था और उनमें से एक ने उससे कहा था कि वह उसे पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है। लड़की ने अपनी मां से शिकायत की थी, जिन्होंने युवकों के माता-पिता के साथ यह मुद्दा उठाया। हालांकि, कुछ दिनों बाद लड़की से अपने प्यार का इजहार करने वाला युवक पीड़िता के घर गया और उसके साथ छेड़छाड़ की।
एकल पीठ ने दिसंबर 2024 में यह पारित किया आदेश
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जी ए सनप की एकल पीठ ने दिसंबर 2024 में पारित फैसले में, जिसकी एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि छेड़छाड़ के आरोप में एक युवक की सजा तो सही है, लेकिन दो की सजा सही नहीं है। आरोपियों का पीछा करना गलत था। एचसी ने कहा, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीछा करने के अपराध को आकर्षित करने के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने सीधे या इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया के माध्यम से किसी बच्चे का बार-बार या लगातार पीछा किया, देखा या संपर्क किया। इसमें कहा गया है, पीछा करने के अपराध की इस अनिवार्य आवश्यकता को देखते हुए, पीड़ित का पीछा करने का एक अकेला उदाहरण इस अपराध को बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
एक युवक की सजा पर पीठ ने दिया फैसला
पीठ ने एक युवक की पांच साल की सजा को भी घटाकर उस अवधि तक कर दिया, जो वह 2022 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में बिता चुका है। दोनों ने जून 2022 में अकोला की एक सत्र अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें उन्हें भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।