
Bombay High court
Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों में महिला की सहमति के बिना उसकी तस्वीर के इस्तेमाल को व्यावसायिक शोषण और समकालीन इलेक्ट्रॉनिक युग तथा सोशल मीडिया को देखते हुए काफी गंभीर करार दिया है।
अवैध रूप से शटरस्टॉक वेबसाइट पर तस्वीर अपलोड करने का आरोप
न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने नम्रता अंकुश कवले द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लिया। पीठ ने केंद्र सरकार, चार राज्य सरकारों, कांग्रेस पार्टी और एक अमेरिकी कंपनी को नोटिस जारी किया है। अपनी याचिका में कवले ने आरोप लगाया कि उनकी तस्वीर एक स्थानीय फोटोग्राफर तुकाराम कर्वे ने खींची, जो उनके परिचित हैं और अवैध रूप से शटरस्टॉक वेबसाइट पर अपलोड की गई। इसके बाद, इस तस्वीर का इस्तेमाल चार राज्य सरकारों और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ-साथ कुछ निजी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों और सार्वजनिक प्रदर्शनों में अवैध रूप से किया गया।
मुद्दे वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया परिदृश्य के लिए प्रासंगिक
हाईकोर्ट ने 10 मार्च को अपने आदेश में मामले की गंभीरता को संबोधित करते हुए कहा कि कवले की याचिका में उठाए गए मुद्दे वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया परिदृश्य के लिए प्रासंगिक हैं। हाईकोर्ट ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक युग और सोशल मीडिया के समकालीन समय को देखते हुए याचिका में उठाए गए मुद्दे काफी गंभीर हैं। प्रथम दृष्टया, यह याचिकाकर्ता की तस्वीर का व्यावसायिक शोषण प्रतीत होता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आरोप लगाया गया है कि महिला को इस बारे में बताए बिना ही ऐसा हुआ।
सभी प्रतिवादियों से हलफनामे मांगे
बेंच ने रॉयल्टी-फ्री स्टॉक फोटोग्राफ वाली वेबसाइट होस्ट करने वाली यूएस-आधारित कंपनी शटरस्टॉक और महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और ओडिशा सहित विभिन्न राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। तेलंगाना कांग्रेस, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और एक निजी संस्था टोटल डेंटल केयर प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया गया, जिसने याचिकाकर्ता की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। इसने सभी प्रतिवादियों से हलफनामे मांगे। उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामला विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा अपनी योजनाओं के विज्ञापन में महिला की तस्वीर के अनधिकृत उपयोग के बारे में एक गंभीर मुद्दा सामने लाता है।
निजता के इस तरह के उल्लंघन और अवैधता को बेहद चिंताजनक बताया
महिला ने अपनी याचिका में अपनी निजता के इस तरह के उल्लंघन और अवैधता को बेहद चिंताजनक बताया, जो जिम्मेदार सरकारों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए था, जिन्हें कानून का पालन करना चाहिए। महिला के अनुसार, उसके गांव के एक फोटोग्राफर तुकाराम कर्वे ने उसकी तस्वीर ली और बिना उसकी सहमति के उसे शटरस्टॉक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। उसने दावा किया कि महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और कर्नाटक की सरकारों, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और कुछ निजी संस्थाओं ने अपने विज्ञापनों और होर्डिंग्स के लिए उसकी सहमति के बिना वेबसाइट से उसकी तस्वीर का इस्तेमाल किया है। महिला ने आगे कहा कि सरकार द्वारा उसकी तस्वीर का अवैध उपयोग उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने प्रतिवादियों को उनकी वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विज्ञापनों और प्रचारों पर उनकी तस्वीर का उपयोग करने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की मांग की।