
Sidewalk beside an road
Bombay HC: महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया, शहर की सड़कों से पेट्रोल और डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर “श्रृंखलाबद्ध प्रभाव” (cascading effect) पड़ेगा।
शहर में वायु प्रदूषण से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम. एस. कर्णिक की पीठ के समक्ष सरकार ने 17 अप्रैल को हलफनामा दायर किया। कहा कि इस मुद्दे पर समग्र अध्ययन करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए अधिक समय चाहिए। 9 जनवरी को, जब हाईकोर्ट ने शहर में वायु प्रदूषण से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई की थी, तब सरकार को यह निर्देश दिया गया था कि वह एक विस्तृत अध्ययन करे ताकि यह तय किया जा सके कि क्या मुंबई की सड़कों से डीजल और पेट्रोल वाहनों को हटाकर केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देना व्यवहार्य होगा।
समिति गठित कर तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने तब आदेश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए और तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाए। संयुक्त परिवहन आयुक्त जयंत पाटिल ने अपने हलफनामे में कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार 21 जनवरी को सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, और अब तक समिति की पांच बैठकें हो चुकी हैं। हलफनामे में कहा गया कि समिति इस बात को लेकर सभी हितधारकों और प्रभावित पक्षों से आवश्यक जानकारी एकत्र कर रही है कि क्या पेट्रोल और डीजल वाहनों को पूरी तरह से हटाया जा सकता है और क्या केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहन ही मुंबई में चलने की अनुमति पा सकते हैं।
अंतिम रिपोर्ट देने के लिए समय मांगा
यह नीति देश की अर्थव्यवस्था और बड़ी आबादी पर श्रृंखलाबद्ध प्रभाव डालेगी। इसलिए, इसमें एक विस्तृत, गहराई से, व्यापक और थकाऊ अध्ययन की आवश्यकता है, जो समय लेने वाला है, यह भी कहा गया। समिति को अपनी अंतिम रिपोर्ट देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी। संयुक्त परिवहन आयुक्त ने कहा कि समिति इस अध्ययन को पूरा करने के लिए कोई निश्चित समय-सीमा नहीं दे सकती, लेकिन उन्होंने कोर्ट को यह आश्वासन दिया कि यह कार्य शीघ्रता से किया जाएगा। कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।