
Supreme Court View
Army News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना (IAF) को निर्देश दिया है कि वे विंग कमांडर निकिता पांडेय को फिलहाल सेवा से न हटाएं।
वायुसेना एक प्रोफेशनल फोर्स है: कोर्ट
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि वायुसेना एक प्रोफेशनल फोर्स है और ऐसे अफसरों के लिए सेवा में अनिश्चितता ठीक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमारी वायुसेना दुनिया की बेहतरीन संस्थाओं में से एक है। इनके अफसर बेहद काबिल हैं और देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। निकिता पांडेय ऑपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रही हैं, लेकिन उन्हें परमानेंट कमीशन नहीं दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और वायुसेना से जवाब मांगा है।
13.5 साल की सेवा के बाद भी नहीं मिला परमानेंट कमीशन
निकिता पांडेय की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने बताया कि वह एक एक्सपर्ट फाइटर कंट्रोलर हैं और उन्होंने IACCS (इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम) में अहम भूमिका निभाई है। यह सिस्टम ऑपरेशन बालाकोट और सिंदूर में इस्तेमाल हुआ था। उन्होंने 13.5 साल सेवा दी है, लेकिन 2019 की एक नीति के चलते उन्हें परमानेंट कमीशन नहीं मिला और अब उन्हें एक महीने में सेवा छोड़नी पड़ रही है।
IAF ने कहा- चयन बोर्ड ने अयोग्य पाया
केंद्र और वायुसेना की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि निकिता को चयन बोर्ड ने अयोग्य पाया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक दूसरा चयन बोर्ड उनके मामले पर विचार करेगा। भाटी ने यह भी कहा कि वह खुद आर्म्ड फोर्स बैकग्राउंड से हैं और ऐसे अफसरों की स्थिति को समझती हैं।
महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने की जरूरत: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि महिला अफसरों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और वायुसेना को सभी शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) अफसरों को परमानेंट कमीशन देने की क्षमता होनी चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर 100 SSC अफसर हैं, तो उनमें से जो योग्य हों, उन्हें परमानेंट कमीशन मिलना चाहिए।
सीमित पद और मेरिट के आधार पर चयन: सरकार
सरकार की ओर से कहा गया कि वायुसेना में एक “स्टेप पिरामिड स्ट्रक्चर” है, जिसमें 14 साल की सेवा के बाद कुछ अफसरों को बाहर जाना होता है ताकि नए अफसरों को मौका मिल सके। आमतौर पर 100 में से 90-95 अफसर परमानेंट कमीशन के लिए फिट पाए जाते हैं, लेकिन कुछ अफसर तुलनात्मक मेरिट के आधार पर छूट जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि निकिता पांडेय को अगली सुनवाई तक सेवा में बनाए रखा जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे उनके पक्ष में कोई स्थायी लाभ नहीं बनेगा और सभी दलीलें खुली रहेंगी।