
Bombay High court
Adoption Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में हो रही देरी और लंबी वेटिंग को लेकर खुद संज्ञान लिया है।
जनहित मानते हुए सुनवाई शुरू की
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की बेंच ने बताया कि उन्हें एक पत्र मिला था, जिसमें मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए गोद लेने की प्रक्रिया में देरी को लेकर शिकायत की गई थी। इसी पत्र को जनहित याचिका मानते हुए कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।
केंद्र व कारा से मांगा जवाब
कोर्ट ने केंद्र सरकार और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह कार्रवाई एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर की है, जिसमें बताया गया था कि गोद लेने के इच्छुक दंपतियों को तीन साल से ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है।
35 हजार से ज्यादा पैरेंट्स लाइन में, सिर्फ 2400 बच्चे उपलब्ध
मीडिया रिपोर्ट में CARA के डैशबोर्ड के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि देशभर में 35 हजार से ज्यादा लोग गोद लेने के लिए रजिस्टर्ड हैं, जबकि गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों की संख्या सिर्फ 2400 है।
कोर्ट ने दो वकीलों को बनाया न्याय मित्र
कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे और गौरव श्रीवास्तव को न्याय मित्र (Amicus Curiae) नियुक्त किया है, जो कोर्ट की मदद करेंगे। कोर्ट ने केंद्र और CARA को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 23 जून को होगी।