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Court News: दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने केंद्र से संविधान में संशोधन करने और इंडिया शब्द को भारत या हिंदुस्तान से बदलने के लिए एक अभ्यावेदन पर विचार करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का शीघ्रता से पालन करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के पारित आदेश के शीघ्र अनुपालन…
याचिकाकर्ता नमहा ने शुरू में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और इस पर शीर्ष अदालत ने वर्ष 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लेकर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है। कहा गया है कि केंद्र के वकील को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के शीघ्र अनुपालन के लिए संबंधित मंत्रालयों को उचित रूप से सूचित करना चाहिए।
संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की गई है
वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सागर की ओर से याचिकाकर्ता नमहा ने हाईकोर्ट का रुख किया। कहा, अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं किया गया है। कहा कि अंग्रेजी नाम “इंडिया” देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर भारत” करने से नागरिकों को औपनिवेशिक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। इसलिए, याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है।
देश को उसके मूल नाम से पहचाना जाए
याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ रखने के पक्ष में मजबूत लहर थी। हालांकि, अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के साथ पहचान की जा रही है।