
Allahabad High Court
Allahabad Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को उन डीएम पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जो अभी तक बगैर कारण शस्त्र लाइसेंस का अावेदन लंबित कर रखा है।
45 दिनों के भीतर मांगे लंबित आवेदनों का विवरण
न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने शस्त्र अधिनियम के तहत लाइसेंसिंग प्राधिकारी जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिया कि वे 45 दिनों के भीतर लंबित आग्नेयास्त्र आवेदनों का विवरण संकलित करें और इस तिथि को मुख्य सचिव या उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी को प्रस्तुत करें। न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि शस्त्र अधिनियम के तहत कोई आवेदन शस्त्र नियमों और शस्त्र अधिनियम के तहत दी गई समय सीमा से अधिक लंबित पाया जाता है, तो डीएम उस पर निर्णय लेने के लिए बाध्य होंगे।
डीएम नहीं करेंगे पालन तो…
शिवम नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि नागरिकों को केवल यह निर्देश मांगने के लिए इस न्यायालय में आने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है कि विशेष अधिकारी अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है। अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह उक्त अधिकारी को दिए गए वैधानिक निर्देश का प्रयोग करे। यदि जिलाधिकारियों द्वारा इसका पालन नहीं किया जाता है, तो मुख्य सचिव और उनके द्वारा नामित अधिकारी द्वारा उनके उपचारात्मक उपायों पर विचार किया जाएगा।
यदि कोई रिपोर्ट नहीं कर रहा तो डीएम कार्रवाई करें…
अदालत ने कहा कि यदि डीएम पाते हैं कि राज्य का कोई अधिकारी समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत न करके बाधा उत्पन्न कर रहा है, तो डीएम संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे और पुलिस सहित राज्य के सभी विभाग आग्नेयास्त्र लाइसेंस आवेदनों पर निर्णय के लिए डीएम की सहायता करेंगे।
दो जून 2022 को याचिकाकर्ता ने किया था आवेदन
याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने 2 जून 2022 को मैनपुरी के जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आज तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसे गंभीरता से लेते हुए, अदालत ने 11 मार्च को कहा, “इस अदालत के समक्ष बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं, जिसमें जिला मजिस्ट्रेटों को आग्नेयास्त्र लाइसेंस लंबित होने पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की जा रही है और कुछ मामले तीन साल से अधिक समय से लंबित पाए गए हैं, जो केवल यह दर्शाता है कि लाइसेंसिंग अधिकारी कानून के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार पहले ही 10 मार्च 2025 को निर्देश जारी कर चुकी है और इसका कड़ाई से अनुपालन आवश्यक है।