
Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने आप के सोमनाथ भारती की भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के लोकसभा चुनाव में उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाले बयान का जवाब देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया।
भले ही वादी चुनावों में व्यस्त हों…
अदालत ने सोमवार को निर्धारित समय के भीतर याचिका दायर करने के महत्व को रेखांकित किया। कहा, भले ही वादी चुनावों में व्यस्त हों। याचिका में सोमनाथ भारती ने दावा किया कि उन्हें भ्रष्ट आचरण के आधार पर उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर स्वराज का जवाब अभी तक नहीं मिला है।
याचिकाकर्ता ने कहा, वह चुनाव में व्यस्त थे…
दरअसल, सोमनाथ भारती 2024 के चुनावों में नई दिल्ली लोकसभा सीट से स्वराज से हार गए। स्वराज की ओर से पेश वकील ने सोमनाथ भारती के अनुरोध का विरोध किया। अदालत ने कहा कि जवाब दाखिल करने के लिए 30 दिनों की वैधानिक अवधि समाप्त हो गई है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अदालत का आदेश देखा है, भारती ने कहा कि वह चुनाव में व्यस्त थे और प्रॉक्सी वकील ने गलत बयान दिया था। अदालत ने पूछा, कौन सा कानून कहता है कि चूंकि वादी चुनाव में व्यस्त था, इसलिए सीमा कानून लागू नहीं होगा?
यह कोई डाकघर नहीं है, पक्षकारों को संवाद करना होगा…
अदालत के आदेश में कहा गया, अदालत याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है। प्रतिवादी ने 19 अक्टूबर 2024 और 22 नवंबर, 2024 को भेजे गए ई-मेल वापस नहीं आए हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ता का यह कर्तव्य था कि वह वकील से संवाद करता.. इस स्तर पर प्रतिवाद दायर करने की याचिका खारिज की जाती है। यह कहते हुए कि कोई पक्ष प्रॉक्सी वकील की चूक के पीछे छिप नहीं सकता। अदालत ने कहा कि यह कोई डाकघर नहीं है और अगर पक्षकारों को याचिकाएं नहीं दी जाती हैं तो उन्हें एक-दूसरे से संवाद करना होगा।
बांसुरी स्वराज की ओर से दिया तर्क…
सोमनाथ भारती की चुनाव याचिका का विरोध करते हुए स्वराज ने तर्क दिया कि यह कानूनी आवश्यकताओं, विशेष रूप से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100 का पालन किए बिना, निर्धारित 45 दिनों के बाद दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि याचिका में उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित करने का कोई आधार नहीं बनाया गया है, क्योंकि आरोप याचिकाकर्ता की कल्पना की उपज हैं। इसके अलावा वे बेहद अस्पष्ट, संदिग्ध और तथ्यों तथा विवरणों से रहित हैं। स्वराज ने कहा, इसके अभाव में, याचिका को वैध रूप से स्थापित नहीं कहा जा सकता है, न ही यह कहा जा सकता है कि यह कार्रवाई का कारण बताता है। इस प्रकार, याचिका खारिज करने योग्य है।
धारा 80 और 81 के तहत दायर हुई याचिका…
धारा 80 और 81 के तहत दायर याचिका में सांसद, उनके चुनाव एजेंट और अन्य पर भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है। सोमनाथ भारती ने आरोप लगाया कि चुनाव के दिन उन्होंने स्वराज के मतदान एजेंटों को पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मतदान केंद्रों पर उनके पक्ष में मतदान करने के लिए उनके मतपत्र संख्या, फोटो, चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाले पर्चे बांटते देखा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वराज का पूरा अभियान धार्मिक प्रकृति का था।