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CHOICE MARRIAGE: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 27 साल की महिला की अपनी पसंद से शादी करने के फैसले पर उसके परिवार की आपत्ति को शर्मनाक बताया है।
महिला ने पिता व भाई के खिलाफ किया था केस
कोर्ट ने कहा कि हर बालिग को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है। महिला ने अपने पिता और भाई के खिलाफ अपहरण की धमकी देने और मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने मिर्जापुर जिले के चुनार थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 140(3) (अपहरण), 352 (जानबूझकर अपमान करना जिससे शांति भंग हो) और अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके खिलाफ महिला के पिता और भाई ने एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर की थी। कोर्ट ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
कोर्ट ने कहा- यह सिर्फ एक केस नहीं, समाज और संविधान के मूल्यों के बीच की खाई है
न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर और प्रवीण कुमार गिरी की बेंच ने 13 जून को दिए आदेश में कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि याचिकाकर्ता एक बालिग महिला के अपनी पसंद से शादी करने के फैसले पर आपत्ति कर रहे हैं। यह अधिकार हर बालिग को संविधान के तहत मिला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह यह नहीं कह सकता कि महिला के पिता और भाई वास्तव में उसका अपहरण करना चाहते हैं या नहीं, लेकिन यह मामला समाज और संविधान के मूल्यों के बीच की खाई को दिखाता है। कोर्ट ने कहा, “जब तक समाज और संविधान के मूल्यों के बीच यह अंतर बना रहेगा, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। यह एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है।”
परिवार को महिला से किसी भी तरह का संपर्क करने से रोका
कोर्ट ने महिला को सुरक्षा देते हुए उसके पिता और भाई को निर्देश दिया कि वे महिला या उसके साथी से किसी भी तरह का संपर्क न करें। न तो फोन, न इंटरनेट और न ही किसी दोस्त या जान-पहचान वाले के जरिए। कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि वह महिला की आजादी और स्वतंत्रता में किसी भी तरह की दखल न दे।