
Domestic Violence...AI Image
Domestic Violence: दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में महिला के ससुराल वालों को आदेश दिया है कि वे या तो उसे ससुराल में रहने दें या फिर उसके लिए किराए का घर दें।
महिला की अपील याचिका पर सुनवाई
यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शरद गुप्ता ने 6 जून को दिया। मामला एक महिला द्वारा दायर अपील से जुड़ा था, जिसमें उसने सितंबर 2023 में महिला अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में महिला के पति को निर्देश दिया गया था कि वह या तो उसे ससुराल में रहने दे या फिर 7 हजार रुपए मासिक किराया दे। महिला का कहना था कि उसे ससुराल में रहने का पूर्ण अधिकार है और अदालत किराया देने का विकल्प नहीं दे सकती। कोर्ट ने आदेश दिया कि अलग किराए का घर लेकर 6 महीने तक हर महीने 7 हजार रुपए किराया दें।
पति का कोई पता नहीं, ससुराल वालों पर जिम्मेदारी
अदालत ने कहा कि महिला का यह दावा सही नहीं है कि उसे ससुराल में रहने का अटल अधिकार है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि महिला का पति फरार है और उसका कोई पता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह साबित हो कि पति और उसके परिवार के बीच संबंध सामान्य हैं या वे मिलकर कोई साजिश कर रहे हैं। बल्कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि पति ने अपनी पत्नी और माता-पिता दोनों को छोड़ दिया है। कोर्ट ने माना कि महिला पहले ससुराल में ही रह रही थी, इसलिए अब जब पति लापता है, तो ससुराल वालों की जिम्मेदारी बनती है कि वे उसे कुछ समय के लिए रहने की व्यवस्था करें या किराया दें।
संशोधित आदेश: 6 महीने तक किराया देना होगा
कोर्ट ने महिला अदालत के पुराने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि ससुराल पक्ष (उत्तरदाता 2 से 6) महिला को ससुराल में रहने दें या फिर उसके लिए अलग किराए का घर लेकर 6 महीने तक हर महीने 7 हजार रुपए किराया दें।