
close up photo of a wooden gavel
COURT-FUGITIVE: दिल्ली की एक अदालत ने 2003 में ऑस्ट्रेलिया के रेडफर्न में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए मोहम्मद बशीरुद्दीन को बरी कर दिया है।
यह गलत पहचान का मामला है: कोर्ट
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी ने 13 जून को यह आदेश सुनाया। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर यह साफ हो गया है कि मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट उस व्यक्ति से अलग हैं, जो इस मामले में असली भगोड़ा आरोपी है। अदालत ने कहा कि यह गलत पहचान का मामला है, क्योंकि आरोपी के फिंगरप्रिंट असली अपराधी से मेल नहीं खाते। कोर्ट ने कहा, “12 जून 2025 को सीएफएसएल की रिपोर्ट सील में प्राप्त हुई थी। आज इसे अदालत में खोला गया। रिपोर्ट के अनुसार, 17 मई 2025 को गिरफ्तार किए गए मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट असली भगोड़े आरोपी से मेल नहीं खाते। इसलिए उन्हें इस मामले से बरी किया जाता है।
क्या था मामला
29 जून 2003 को ऑस्ट्रेलिया के रेडफर्न इलाके की जेम्स स्ट्रीट पर एक व्हीली बिन में एक नींद की थैली (स्लीपिंग बैग) में शौकत मोहम्मद नाम के व्यक्ति की लाश मिली थी। जांच में सामने आया कि उसे नशा देकर पीटा गया और फिर गला घोंटकर हत्या की गई थी।
असली आरोपी का नाम अलग था
मोहम्मद बशीरुद्दीन की ओर से पेश वकील फरहत जहां रहमानी ने अदालत को बताया कि विदेशी रिकॉर्ड में जिस आरोपी का नाम है, वह बशीरुद्दीन मोहम्मद है, जबकि मौजूदा आरोपी का पूरा नाम मोहम्मद बशीरुद्दीन है। दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं। वकील ने यह भी बताया कि मोहम्मद बशीरुद्दीन ने 2016 में भारतीय पासपोर्ट बनवाया था और तब से अब तक वह केवल सऊदी अरब गए हैं, भारत के बाहर कहीं और नहीं गए।