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CAT Case: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर बिल्ली चुराने के आरोप में दर्ज आपराधिक केस को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने मामले को फिजूल का मामला बताया
सुनवाई के दौरान जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने टिप्पणी की, “बिल्ली डेजी ने सबको पागल कर दिया है।” कोर्ट ने इसे फिजूल का मामला बताते हुए कहा कि ऐसे केस से आपराधिक न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक बोझ पड़ता है।
2023 में दर्ज हुआ था केस, 2024 में कोर्ट ने दी थी अंतरिम राहत
यह मामला 2023 में दर्ज हुआ था। आरोपी ताहा हुसैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केस रद्द करने की मांग की थी। 23 जुलाई 2024 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हुसैन को अंतरिम राहत देते हुए सभी कानूनी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
पुलिस ने लगाया था गंभीर आरोप, कोर्ट ने नहीं माना
एफआईआर के बाद पुलिस ने हुसैन के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। उन पर आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की मर्यादा का अपमान) के तहत केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि सीसीटीवी फुटेज में बिल्ली हुसैन के घर में दिखी थी।
बिल्ली खिड़की से आती-जाती है, यह अपराध नहीं: वकील
हुसैन के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि बिल्लियां आमतौर पर खिड़कियों से एक घर से दूसरे घर में आती-जाती हैं। यह कोई आपराधिक कृत्य नहीं है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए केस को खारिज कर दिया।
कोर्ट की टिप्पणी: ऐसे केस से न्याय व्यवस्था जाम हो सकती है
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के फिजूल मामलों को आगे बढ़ाने से आपराधिक न्याय व्यवस्था जाम हो सकती है। इसलिए ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।