
Calcutta High Court
CHILD-SURNAME: कोलकाता हाईकोर्ट ने एक महिला को अपने नाबालिग बेटे का सरनेम बदलने की इजाजत दे दी है।
नाम बदलने का प्रावधान सरनेम बदलने पर भी लागू
कोर्ट ने कहा कि कोलकाता नगर निगम (KMC) के रिकॉर्ड में नाम बदलने का जो प्रावधान है, वह सरनेम बदलने पर भी लागू होता है। महिला ने अपनी दूसरी शादी के बाद बेटे का सरनेम बदलने की याचिका दायर की थी। जस्टिस कौशिक चंदा ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला KMC में आवेदन देकर अपने और बेटे के सरनेम में बदलाव करवा सकती है, बशर्ते वह दूसरी शादी के दस्तावेज पेश करे। हालांकि कोर्ट ने बेटे के जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम बदलने की इजाजत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा बदलाव तभी संभव है जब सौतेले पिता द्वारा बच्चे को कानूनी रूप से गोद लिया गया हो।
2010 में हुआ था बच्चे का जन्म
कोर्ट के मुताबिक, महिला की पहली शादी से 2010 में बेटे का जन्म हुआ था। 2016 में दोनों का तलाक हो गया और 2020 में महिला ने दूसरी शादी की। याचिका में कहा गया कि महिला और उसका पहला पति 2010 से ही अलग रह रहे हैं और बच्चा पूरी तरह मां की देखरेख में पला है। दूसरी शादी के बाद बच्चा मां और सौतेले पिता दोनों की देखरेख में है।
पहले पति को नहीं है आपत्ति
याचिका में KMC को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह रिकॉर्ड में बच्चे और मां का सरनेम बदले और पिता के नाम की जगह सौतेले पिता का नाम दर्ज करे। महिला के पहले पति ने कोर्ट में वकील के जरिए कहा कि उसे इन बदलावों पर कोई आपत्ति नहीं है।
KMC ने किया विरोध
KMC ने कोर्ट में कहा कि जन्म प्रमाण पत्र में नाम बदलने का अधिकार सिर्फ टाइपिंग या तथ्यात्मक गलती सुधारने तक सीमित है। निगम के वकील ने कहा कि गोद लेने के मामलों में निगम अलग रजिस्टर में बदलाव करता है, लेकिन इसके लिए कोर्ट से वैध गोद लेने का आदेश जरूरी होता है।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोलकाता नगर निगम अधिनियम, 1980 की धारा 454 के तहत रजिस्ट्रार को बच्चे के नाम में बदलाव दर्ज करने का अधिकार है। जस्टिस चंदा ने कहा कि इस धारा में ‘नाम’ शब्द का मतलब सिर्फ पहला नाम नहीं, बल्कि पूरा नाम यानी सरनेम भी शामिल है। इसलिए निगम को बच्चे का पूरा नाम बदलने का अधिकार है।