
Shahbad Dairy Police Station, Delhi, were incident occured
CUSTODIAL TORTURE: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने पुलिस हिरासत में यातना के एक मामले में शाहबाद डेयरी थाने के कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
पति नवीन उर्फ मोनू को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया
रोहिणी कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के 2019 के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एफआईआर की मांग को ठुकरा दिया गया था। यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह ने दिया। वे मीनाक्षी नाम की महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। मीनाक्षी ने आरोप लगाया था कि उसके पति नवीन उर्फ मोनू को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया।
जांच सरकारी फॉरेंसिक लैब में होने के निर्देश
कोर्ट ने 21 मई को दिए आदेश में कहा कि इस मामले में सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच सरकारी फॉरेंसिक लैब में होनी चाहिए, जो शिकायतकर्ता और पीड़ित की पहुंच से बाहर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता और पीड़ित आम नागरिक हैं, जबकि आरोपी पुलिस अधिकारी हैं।
गंभीर आरोप, गहराई से जांच जरूरी
कोर्ट ने कहा कि आरोपों के मुताबिक, पुलिसकर्मियों ने नवीन को जबरन उगाही के लिए प्रताड़ित किया। ऐसे में आरोपों की गंभीरता को देखते हुए मामले की गहराई से जांच जरूरी है, ताकि यह पता चल सके कि किन पुलिसकर्मियों की क्या भूमिका रही। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो सामने दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की जांच में भी यह बात सामने आई कि पुलिस हिरासत में यातना के आरोपों को नकारा नहीं जा सकता।
मानव गरिमा का उल्लंघन, संविधान के अनुच्छेद 21 का हनन
कोर्ट ने 1997 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हिरासत में यातना मानव गरिमा का खुला उल्लंघन है। यह व्यक्ति की आत्मा को कुचलने जैसा है और जब भी मानव गरिमा को ठेस पहुंचती है, सभ्यता एक कदम पीछे चली जाती है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन हुआ है, जिसमें कहा गया था कि अमानवीय या अपमानजनक यातना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है। इसलिए पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप गंभीर हैं।
एक हफ्ते में एफआईआर दर्ज करने के आदेश
कोर्ट ने संबंधित थाना प्रभारी को आदेश दिया कि वह एक हफ्ते के भीतर एफआईआर दर्ज करें। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आदेश की कॉपी संबंधित डीसीपी को भेजी जाए, ताकि वह सुनिश्चित करें कि इस मामले की जांच किसी एसीपी रैंक के अधिकारी से समयबद्ध तरीके से कराई जाए।
इन पुलिसकर्मियों और डॉक्टर पर एफआईआर की मांग
महिला की याचिका में शाहबाद डेयरी थाने के चौकी प्रभारी पुनीत ग्रेवाल, जांच अधिकारी प्रवीण कुमार, हेड कांस्टेबल कृष्णा, कुछ अज्ञात पुलिसकर्मियों और महारिषि वाल्मीकि अस्पताल के डॉक्टर एस.एन. सिद्धार्थ के खिलाफ एफआईआर की मांग की गई थी।