
Supreme-Court
TENANT-DISPUTE: सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार और भूस्वामी (मकान मालिक) के बीच चल रहे विवादों के लंबे समय तक अदालतों में लंबित रहने पर चिंता जताई है।
मुंबई के ‘हरचंद्राई हाउस’ नामक संपत्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई
शीर्ष कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से ऐसे मामलों की स्थिति की समीक्षा करने और संबंधित अदालतों से लंबित मामलों की रिपोर्ट मंगवाने को कहा है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई के दौरान की। यह मामला मुंबई के ‘हरचंद्राई हाउस’ नामक संपत्ति से जुड़ा है, जहां हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड किरायेदार के रूप में मौजूद है। विवाद इस बात पर था कि ‘मेसन प्रॉफिट’ यानी अवैध कब्जे के दौरान मिलने वाले मुआवजे की गणना प्रति वर्ग फुट किस दर से की जाए।
देरी से दोनों पक्षों को मानसिक, आर्थिक आघात: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में फैसला आने में वर्षों लग जाते हैं, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान होता है। मकान मालिक को न तो संपत्ति मिलती है और न ही उससे होने वाली आमदनी। वहीं, किरायेदार को अचानक बड़ी रकम चुकाने का आदेश मिल जाता है, जो उसके लिए मुश्किल होता है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालयों की जिम्मेदारी है कि किसी भी पक्ष को उनके कारण नुकसान न हो। ऐसे मामलों में देरी से दोनों पक्षों को मानसिक, आर्थिक और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
लंबित मामलों की समीक्षा के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को दिए आदेश में कहा कि अगर ऐसे कई मामले लंबित हैं, तो बॉम्बे हाईकोर्ट को उनके जल्द निपटारे के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किरायेदारों के लिए बड़ी रकम का इंतजाम करना आसान नहीं होता, इसलिए न्याय में देरी से बचना जरूरी है।