
Supreme Court Chief Justice BR Gavai
CJI Speech: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा, जजों को किसी भी बाहरी नियंत्रण से मुक्त रहना चाहिए।
राउंडटेबल चर्चा में किया संबोधन
CJI गवई ने यह बात यूनाइटेड किंगडम की सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक राउंडटेबल चर्चा में कही। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना हो सकती है, लेकिन इसका कोई भी समाधान न्यायपालिका की स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की वैधता और जनता का भरोसा किसी दबाव या आदेश से नहीं, बल्कि अदालतों की विश्वसनीयता से बनता है। अगर यह भरोसा कमजोर होता है, तो संविधान में न्यायपालिका को जो भूमिका दी गई है, वह भी कमजोर पड़ सकती है।
डिजिटल युग में न्यायपालिका को पारदर्शी और जवाबदेह होना होगा
CJI ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतंत्र की अहम विशेषताएं हैं। आज के डिजिटल दौर में, जब सूचनाएं तेजी से फैलती हैं और धारणाएं जल्दी बनती हैं, तो न्यायपालिका को स्वतंत्रता बनाए रखते हुए खुद को अधिक सुलभ, समझने योग्य और जवाबदेह बनाना होगा।
रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद स्वीकार करना नैतिक सवाल खड़े करता है
CJI गवई ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद जजों द्वारा सरकारी पद स्वीकार करने या चुनाव लड़ने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे गंभीर नैतिक सवाल उठते हैं और जनता का न्यायपालिका पर भरोसा कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की नियुक्तियों से यह धारणा बन सकती है कि जजों के फैसले भविष्य में मिलने वाले राजनीतिक या सरकारी पदों से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “अगर कोई जज रिटायरमेंट के तुरंत बाद सरकार से जुड़ा कोई पद स्वीकार करता है या चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देता है, तो इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। यह हितों के टकराव जैसा लगता है और सरकार से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।”
CJI और उनके कई साथी जजों ने लिया है संकल्प
CJI गवई ने बताया कि उन्होंने और उनके कई सहयोगियों ने सार्वजनिक रूप से यह संकल्प लिया है कि वे रिटायरमेंट के बाद सरकार से कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “यह प्रतिबद्धता न्यायपालिका की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता बनाए रखने की दिशा में एक प्रयास है।”
भ्रष्टाचार के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कार्रवाई की
CJI ने कहा कि हर सिस्टम में पेशेवर गड़बड़ियों की संभावना होती है। दुर्भाग्य से, न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार और दुराचार के कुछ मामले सामने आए हैं, जिससे जनता का भरोसा प्रभावित हुआ है। लेकिन भारत में जब भी ऐसे मामले सामने आए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत और उचित कार्रवाई की है।
जजों की संपत्ति सार्वजनिक करना पारदर्शिता की दिशा में कदम
CJI ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद यह माना है कि जज भी सार्वजनिक पदाधिकारी हैं और उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। कोर्ट ने एक पोर्टल बनाया है, जहां जजों की संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक की जाती है। इससे यह संदेश जाता है कि जज भी अन्य सरकारी अधिकारियों की तरह जांच के दायरे में आने को तैयार हैं।
लाइव स्ट्रीमिंग शुरू, पर सावधानी जरूरी
CJI ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ की सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग शुरू किया है, ताकि पारदर्शिता बढ़े। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस सुविधा का इस्तेमाल सावधानी से होना चाहिए, क्योंकि कोर्ट की कार्यवाही को गलत संदर्भ में पेश कर जनता की धारणा को प्रभावित किया जा सकता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “पिछले हफ्ते मेरे एक सहयोगी ने एक जूनियर वकील को कोर्ट में पेश होने की कला और व्यवहार सिखाने के लिए हल्के-फुल्के अंदाज में कुछ कहा। लेकिन मीडिया ने उसे गलत तरीके से पेश किया कि ‘हमारा ईगो बहुत नाजुक है, अगर आप उसे ठेस पहुंचाएंगे तो आपका केस खारिज हो जाएगा। CJI ने कहा कि ऐसे उदाहरण दिखाते हैं कि लाइव स्ट्रीमिंग जैसे टूल्स का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए।