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Court News: दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के आरोप में दो लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पीड़ित या शिकायतकर्ता का पता नहीं चल रहा है। ऐसे में प्रत्यक्षदर्शी की गवाही के अभाव में आरोप साबित करना मुश्किल हो जाता है।
13 अप्रैल 2020 को पीड़ित पर हुआ था चाकू से हमला
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ट्विंकल वाधवा मोहम्मद आलम और रुब्बा के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे। मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार, 13 अप्रैल 2020 को पीड़ित फिरोज खान पर हमला किया और उसे चाकू से मारा। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि दोनों ने पीड़ित पर हमला किया, जबकि आलम ने भी उसे चाकू मार दिया। दिल्ली के न्यू उस्मानपुर इलाके में पीड़ित ने आलम से वह पैसे वापस मांगे, जो उसने उससे लिए थे।
23 दिसंबर को अदालत ने दिया था आदेश
23 दिसंबर के एक आदेश में अदालत ने कहा, जब किसी आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता का पता नहीं चल पाता है, तो यह आरोपी के खिलाफ अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर कर देता है। क्योंकि शिकायतकर्ता की गवाही अपराध को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिकायतकर्ता की गवाही की अनुपस्थिति से आरोपी का अपराध स्थापित करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस मामले में शिकायतकर्ता के अलावा किसी ने भी अपराध नहीं देखा है।
प्रत्यक्ष की गवाही के बिना अपराध को स्थापित करना मुश्किल
अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि पीड़ित की प्रत्यक्ष गवाही के बिना, चाकू और खून से सने कपड़ों की जब्ती दोनों के अपराध को स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह केवल द्वितीयक साक्ष्य है और प्राथमिक साक्ष्य की जगह नहीं ले सकता। इसने दोनों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।