
Court news: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक नरेश बल्यान की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बल्यान को मकोका की धारा में जमानत नहीं
कोर्ट ने कहा कि जब कोई राजनेता और अपराधी मिलकर काम करते हैं, तो यह देश और नागरिकों के लिए सबसे खतरनाक स्थिति होती है। ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है। बल्यान पर यूके में बैठे गैंगस्टर कपिल सांगवान के नेतृत्व वाले संगठित अपराध सिंडिकेट से जुड़े होने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ गवाहों के बयान, सह-आरोपियों के बयान और कपिल सांगवान के साथ आरोपी की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसे सबूत मौजूद हैं। ऐसे में यह मानने का कोई आधार नहीं है कि बल्यान इस अपराध में शामिल नहीं हैं। इसलिए मकोका की धारा 21(4) के तहत उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
जमानत की दलीलें खारिज
बल्यान ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि मकोका के तहत उनके खिलाफ मंजूरी देना गलत था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि मंजूरी देने वाली अथॉरिटी ने पर्याप्त सबूतों के आधार पर यह फैसला लिया था। मंजूरी के प्रस्ताव में जुलाई 2023 तक दर्ज 15 एफआईआर का जिक्र है, जिनमें कुछ एफआईआर एफआईआर नंबर 265/23 के बाद दर्ज हुई हैं। इसलिए मंजूरी को गलत ठहराना सही नहीं है।
मकोका की सख्त शर्तें लागू
कोर्ट ने कहा कि मकोका के तहत आरोपी को तभी जमानत मिल सकती है जब यह साबित हो कि वह अपराध में शामिल नहीं है और जमानत पर बाहर आने के बाद कोई अपराध नहीं करेगा। बल्यान के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, इसलिए यह संतोषजनक आधार नहीं बनता कि उन्हें जमानत दी जाए।
आर्थिक मदद देने का आरोप
कोर्ट ने यह भी कहा कि मकोका की धारा 3(2) के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी अपराधी को आर्थिक मदद देता है, तो यह माना जाएगा कि वह भी अपराध में शामिल है, जब तक कि वह खुद को निर्दोष साबित न करे। बल्यान पर आरोप है कि उन्होंने अपराध के बाद गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तारी से बचाने के लिए आर्थिक मदद दी थी। इसलिए यह धारा भी उन पर लागू होती है।
गंभीर अपराधों में 21 एफआईआर
दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि कपिल सांगवान के गैंग के खिलाफ 2021 से 2024 के बीच हत्या और वसूली जैसे गंभीर अपराधों में 21 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें से कई मामलों में जांच चल रही है और कुछ में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
गुप्त ऐप्स से गैंग से संपर्क
एसपीपी ने बताया कि बल्यान के मोबाइल में ऐसे गुप्त ऐप्स मिले हैं, जिनका इस्तेमाल गैंग के अन्य सदस्यों से संपर्क के लिए किया गया। ये ऐप्स उन्होंने अपने सहयोगियों के नाम पर खरीदे थे। सीएफएसएल ने जब्त मोबाइल से इन ऐप्स की पहचान की है।
बल्यान के वकीलों की दलील
बल्यान की ओर से वकील एमएस खान, रोहित दलाल और राहुल साहनी ने कहा कि मकोका की धारा 2(डी) के तहत संगठित अपराध साबित करने के लिए किसी नए अपराध की जरूरत होती है। सिर्फ पुराने एफआईआर या चार्जशीट के आधार पर मकोका नहीं लगाया जा सकता। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।