
In-House Committee Inspect Judge's Residence, New Delhi
Judge’s Row 14: सुप्रीम कोर्ट की एक जांच समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संभव
सूत्रों के मुताबिक, यदि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो संसद के आगामी मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। यह सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होगा। घटना के बाद वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया था। वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद यह मामला सामने आया था।
तत्कालीन सीजेआई ने की थी सिफारिश
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिखा गया था, हालांकि समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार, सीजेआई खन्ना ने वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। हालांकि, अभी तक उनके खिलाफ कोई औपचारिक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। जस्टिस वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि उनके आवास से मिली नकदी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह नकदी उनके ओUTHOUSE में आग लगने के बाद मिली थी।
स्पष्ट घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से भी बातचीत करेगी ताकि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से लाया जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस तरह के स्पष्ट घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है। इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा। महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। राज्यसभा में इसके लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं, जबकि लोकसभा में 100 सांसदों का समर्थन चाहिए। प्रस्ताव पारित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज और किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जांच समिति के लिए नामित करते हैं। सरकार की ओर से एक “प्रख्यात विधिवेत्ता” को भी समिति में शामिल किया जाता है।
सभी दलों से समर्थन लेने की कोशिश
सरकार चाहती है कि यह प्रस्ताव सभी दलों के समर्थन से लाया जाए। इसके लिए तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत रहते हुए जस्टिस वर्मा के आवास से मिली अधजली नकदी का जिक्र होगा। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया था।