
Calcutta High Court
West Bengal HC: कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक ट्रायल कोर्ट के जज की तलाक के मामले में की गई सुनवाई पर सख्त टिप्पणी की है।
पत्नी ने न तो खुद कोई सबूत दिए और न ही पति की गवाही का विरोध किया
कोर्ट ने कहा कि पत्नी की ओर से कोई सबूत पेश नहीं किए गए थे, फिर भी जज ने पति की ओर से दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए पति को क्रूरता के आधार पर तलाक दे दिया।हाईकोर्ट ने 22 मई को यह आदेश दिया। जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने पत्नी की ओर से कोई गवाही या सबूत न होने के बावजूद मामले को एकतरफा नजरअंदाज कर दिया। पत्नी ने न तो खुद कोई सबूत दिए और न ही पति की गवाही का विरोध किया।
जज ने अपनी कल्पना से फैसला दिया
हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों को नजरअंदाज कर अपनी कल्पना के आधार पर फैसला दिया। यह फैसला फरवरी 2018 में उस तलाक याचिका पर आया था, जो 2015 में दायर की गई थी।
भविष्य में दोहराया तो सर्विस बुक में दर्ज होगा
हाईकोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के जज पर कोई गंभीर टिप्पणी नहीं कर रहा है, क्योंकि इससे उनके करियर पर असर पड़ सकता है। लेकिन भविष्य में अगर उन्होंने इसी तरह पुराने फैसलों को कॉपी-पेस्ट कर या कल्पना के आधार पर फैसला दिया, तो यह बात उनकी सर्विस बुक में दर्ज की जा सकती है।