
Supreme-Court
JUDGES News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मध्यप्रदेश में जिला अदालतों के जजों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 61 साल करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है।
मध्यप्रदेश जजेज एसोसिएशन की याचिका
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की। कोर्ट ने यह टिप्पणी मध्यप्रदेश जजेज एसोसिएशन की याचिका पर की, जिसमें रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को प्रशासनिक स्तर पर लेना होगा और बेहतर होगा कि हाईकोर्ट दो महीने के भीतर इस पर निर्णय ले।
पहले 62 साल की मांग थी, अब 61 साल पर सहमति
एसोसिएशन ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जिला जजों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल करने की मांग की थी। बाद में एसोसिएशन ने कोर्ट को बताया कि अब वह केवल 61 साल तक उम्र बढ़ाने की मांग कर रही है। यह मांग एक अन्य राज्य में लागू किए गए फैसले के अनुरूप है।
हाईकोर्ट ने पहले मांग ठुकराई थी
एसोसिएशन ने सबसे पहले 2018 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से यह मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे ठुकरा दिया था। हाईकोर्ट ने 2002 में ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि उम्र बढ़ाना संभव नहीं है।
तेलंगाना केस का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति
सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गवई ने तेलंगाना सरकार की ओर से दायर एक आवेदन का हवाला दिया, जो इसी ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन केस में दायर किया गया था। उस मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने जिला जजों की रिटायरमेंट उम्र 61 साल करने की अनुमति मांगी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। CJI ने कहा कि उस आदेश को देखते हुए हमें नहीं लगता कि मध्यप्रदेश में भी उम्र बढ़ाने में कोई कानूनी अड़चन है। हालांकि, यह फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को प्रशासनिक स्तर पर लेना होगा। अगर हाईकोर्ट 61 साल तक उम्र बढ़ाने का निर्णय लेता है, तो उसे अनुमति दी जाएगी।