
Audit Case: केंद्र सरकार अपनी प्रमुख कानूनी सहायता योजनाओं की प्रभावशीलता और भविष्य में इन्हें जारी रखने की संभावनाओं का आकलन करने के लिए स्वतंत्र ऑडिट कराने जा रही है। ये योजनाएं 2026 में समाप्त हो रही हैं।
योजना के तहत तीन प्रमुख कार्यक्रम चल रहे
कानून मंत्रालय के न्याय विभाग की DISHA (Designing Innovative Solutions for Holistic Access to Justice in India) योजना के तहत तीन प्रमुख कार्यक्रम चल रहे हैं— टेली-लॉ, न्याय बंधु (प्रो बोनो लीगल सर्विसेज) और लीगल लिटरेसी व लीगल अवेयरनेस प्रोग्राम। इनका मकसद देश के नागरिकों, खासकर दूर-दराज के इलाकों में रहने वालों को सस्ती और सुलभ कानूनी सेवाएं देना है। यह योजना पांच साल (2021-2026) के लिए शुरू की गई थी और इसके लिए 250 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। अब न्याय विभाग ने इस योजना की स्वतंत्र समीक्षा कराने के लिए टेंडर जारी किया है।
ऑडिट में क्या-क्या देखा जाएगा
- तीनों कार्यक्रमों— टेली-लॉ, न्याय बंधु और लीगल लिटरेसी व लीगल अवेयरनेस— का असर लाभार्थियों, क्षेत्रों और सेक्टरों पर कैसा पड़ा, इसका विश्लेषण किया जाएगा।
- हर कार्यक्रम का आउटपुट-आउटकम एनालिसिस किया जाएगा।
- योजना के क्रियान्वयन में कहां-कहां खामियां रहीं, उन्हें पहचाना जाएगा और सुधार के सुझाव दिए जाएंगे।
DISHA योजना के प्रमुख कार्यक्रम
टेली-लॉ
इस योजना के तहत कम्युनिकेशन और आईटी का इस्तेमाल कर लोगों को कानूनी जानकारी और सलाह दी जाती है। इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर्स पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे वकील और आम लोग सीधे जुड़ते हैं।
न्याय बंधु
यह योजना देशभर में वंचित और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता देने के लिए है। इसमें वकील अपनी सेवाएं स्वेच्छा से देते हैं और पात्र लाभार्थियों से जोड़े जाते हैं।
लीगल लिटरेसी और लीगल अवेयरनेस प्रोग्राम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उनके कानूनी अधिकारों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें। सरकार का मानना है कि इन योजनाओं की समीक्षा से यह तय करने में मदद मिलेगी कि इन्हें 2026 के बाद कैसे और किस रूप में आगे बढ़ाया जाए।