
Allahabad High Court
UP HC: हत्या के आरोप में 43 साल जेल में बिताने के बाद 104 साल के लखन को आखिरकार इंसाफ मिल गया।
डालसा ने मामले में मदद की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया, जिसके बाद कौशांबी जिला जेल से मंगलवार को उनकी रिहाई हुई। लखन की रिहाई जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) की मदद से संभव हो सकी। लखन की बेटी आशा ने कहा, “अब 43 साल का दाग मिट गया है। पिताजी को अब शांति मिल गई है।
1977 में हुई थी गिरफ्तारी
गौराये गांव के रहने वाले लखन का जन्म जेल रिकॉर्ड के अनुसार 4 जनवरी 1921 को हुआ था। उन्हें 1977 में एक व्यक्ति प्रभु सरोज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह हत्या दो गुटों के बीच झगड़े के दौरान हुई थी।
1982 में मिली थी उम्रकैद
लखन और तीन अन्य आरोपियों को 1982 में प्रयागराज की जिला एवं सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद चारों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन केस की सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों की मौत हो गई। केवल लखन ही बचे थे, जिन्हें हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को बरी कर दिया।
बेटी के ससुराल में रह रहे हैं लक्षन
कौशांबी DLSA की सचिव और अपर जिला जज पूर्णिमा प्रांजल ने बताया कि कोर्ट के आदेश और जिला जेल अधीक्षक के सहयोग से लक्षन को रिहा किया गया। इसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से उनकी बेटी के ससुराल, थाना शरिरा क्षेत्र में पहुंचाया गया, जहां वे अब रह रहे हैं।
चलने-फिरने में असमर्थ हैं, लेकिन मन को मिली शांति
बेटी आशा ने बताया कि उनके पिता को लगातार पैर में दर्द रहता है और वे बिना सहारे चल नहीं सकते। लंबे समय तक खड़े भी नहीं रह सकते। लेकिन अब वे मानसिक रूप से संतुष्ट हैं कि उन्हें न्याय मिला। आशा ने कहा, “अब वे सुकून से इस दुनिया से जा सकते हैं।