
Friends sitting on the couch and watching film
Tax News: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि DTH (डायरेक्ट टू होम) सेवाओं पर राज्य सरकारें एंटरटेनमेंट टैक्स और केंद्र सरकार सर्विस टैक्स वसूल सकती हैं।
टीवी पर दिखाया जानेवाला मनोरंजन लग्जरी की श्रेणी में: कोर्ट
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि टीवी पर कोई भी मनोरंजन तभी दिखाया जा सकता है, जब ब्रॉडकास्टर उपभोक्ताओं तक सिग्नल भेजे। इस प्रक्रिया में दो हिस्से होते हैं—पहला, कंटेंट के सिग्नल का ट्रांसमिशन और दूसरा, सेट-टॉप बॉक्स और व्यूइंग कार्ड के जरिए इन सिग्नलों को डिक्रिप्ट कर टीवी पर दिखाना। कोर्ट ने कहा कि ब्रॉडकास्टिंग एक सेवा है, जिस पर संसद द्वारा सर्विस टैक्स लगाया जा सकता है। वहीं, टीवी पर दिखाया जाने वाला मनोरंजन लग्जरी की श्रेणी में आता है, जिस पर राज्य सरकारें एंटरटेनमेंट टैक्स लगा सकती हैं।
बिना व्यूइंग कार्ड के उपभोक्ता कंटेंट नहीं देख सकते
कोर्ट ने कहा कि बिना सेट-टॉप बॉक्स और व्यूइंग कार्ड के उपभोक्ता कंटेंट नहीं देख सकते। इसलिए यह पूरी प्रक्रिया मनोरंजन देने की सेवा है और इसे लग्जरी माना जाएगा। इस आधार पर DTH ऑपरेटरों को सर्विस टैक्स के साथ-साथ एंटरटेनमेंट टैक्स भी देना होगा।
हाईकोर्ट के फैसलों को दी गई चुनौती
यह फैसला उन याचिकाओं पर आया है, जिनमें हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें एंटरटेनमेंट टैक्स को असंवैधानिक बताया गया था।
राज्य कानूनों को भी दी गई चुनौती
DTH ऑपरेटरों ने अलग-अलग राज्यों के कानूनों को भी चुनौती दी थी, जिनमें उन पर एंटरटेनमेंट टैक्स लगाया गया था। उनका तर्क था कि वे केवल सिग्नल ब्रॉडकास्ट कर रहे हैं, इसलिए उन पर लग्जरी टैक्स नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि टीवी पर दिखाया जाने वाला मनोरंजन एक लग्जरी है और इस पर टैक्स लगाया जा सकता है।