
ED Office New Delhi
SC Remarks: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्यशैली पर कहा, “आप सारी हदें पार कर रहे हैं।
ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि ईडी संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धांत का उल्लंघन कर रही है।
तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने ईडी की छापेमारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए। त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें शराब घोटाले में जमानत देने से इनकार किया गया था।
पहले भी कई बार कोर्ट ने जताई नाराजगी
- 11 अप्रैल को जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले को दिल्ली ट्रांसफर करने की ईडी की मांग पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था, “ईडी को आरोपियों के मौलिक अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए।”
- छत्तीसगढ़ के 2,000 करोड़ के शराब घोटाले में दो जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था, “आप व्यक्ति को हिरासत में रखकर सजा दे रहे हैं। जांच अनंतकाल तक नहीं चल सकती। तीन चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं। यह कोई आतंकवाद या तिहरे हत्याकांड जैसा मामला नहीं है।”
- फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एक पूर्व आबकारी अधिकारी को लंबे समय तक जेल में रखने पर ईडी से पूछा था कि क्या PMLA का दुरुपयोग हो रहा है, जैसे कभी दहेज कानून का हुआ था।
- हरियाणा के एक पूर्व कांग्रेस विधायक से रात 12 बजे तक पूछताछ करने पर कोर्ट ने ईडी की “अमानवीयता” और “दबंगई” पर सवाल उठाए थे।
- एक महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि ईडी ने PMLA के प्रावधानों के खिलाफ जाकर दलीलें दीं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताया कि वह कानून के खिलाफ दलीलें न दे।
- एक पूर्व आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने ईडी की “जल्दबाजी” पर सवाल उठाए थे और कहा था कि ऐसा तो गंभीर अपराधों में भी नहीं होता।
- कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में कम सजा दर पर चिंता जताई और कहा कि ईडी को जांच की गुणवत्ता और सबूतों पर ध्यान देना चाहिए।
हाई कोर्ट्स और ट्रायल कोर्ट्स भी कर चुके हैं आलोचना
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि नींद का अधिकार एक बुनियादी मानव आवश्यकता है, जिसे रातभर पूछताछ के लिए नहीं छीना जा सकता।
- एक अन्य मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने ईडी को नागरिकों को परेशान न करने और कानून अपने हाथ में न लेने की चेतावनी दी थी।
- नवंबर 2024 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ईडी की जांच को “लापरवाह और गैर-पेशेवर” बताया था और एजेंसी के डायरेक्टर से जवाब मांगा था।
- एक ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि ईडी ने बिना किसी सबूत के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों से पूछताछ की, जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
धारा 498A की तरह हो रहा है PMLA का दुरुपयोग?
- 12 फरवरी को जस्टिस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पूछा कि जब हाई कोर्ट ने शिकायत पर संज्ञान लेने का आदेश रद्द कर दिया है, तो व्यक्ति अब भी जेल में क्यों है?
- कोर्ट ने कहा, “PMLA का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति को जेल में रखा जाए। अगर प्रवृत्ति यही है कि संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति जेल में रहे, तो क्या कहा जाए? यही तो 498A मामलों में हुआ था। क्या PMLA का भी वैसा ही दुरुपयोग हो रहा है?”
- जब ईडी के वकील ने कहा कि तकनीकी आधार पर अपराधी नहीं बच सकते, तो कोर्ट ने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि ईडी को पता था कि संज्ञान रद्द हो चुका है, फिर भी इसे छिपाया गया। हमें अधिकारियों को तलब करना चाहिए। ईडी को साफ-साफ जवाब देना होगा।”
- कोर्ट ने कहा, “हम क्या संदेश दे रहे हैं? संज्ञान रद्द हो चुका है और व्यक्ति अब भी जेल में है।”