
Bombay High court
Court news: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 73 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति के लिए उनकी दो बेटियों को अभिभावक नियुक्त किया है।
व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ
न्यायमूर्ति अभय आहूजा की बेंच ने 8 मई को यह आदेश दिया, जिसकी कॉपी बुधवार को उपलब्ध कराई गई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती। यह फैसला उस स्थिति में लिया गया जब बुजुर्ग को कार्डियक अरेस्ट के दौरान ब्रेन इंजरी हुई और वे बेडरिडन हो गए। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं और खुद की देखभाल या संपत्ति प्रबंधन में सक्षम नहीं हैं।
बुजुर्ग को लगातार देखभाल की जरूरत
कोर्ट ने माना कि यह मामला मानसिक मंदता का नहीं बल्कि मानसिक बीमारी का है, जो कार्डियक अरेस्ट के बाद उत्पन्न हुई। व्यक्ति अर्धचेतन अवस्था में हैं और उन्हें लगातार देखभाल की जरूरत है। याचिका में कहा गया था कि बुजुर्ग व्यक्ति संवाद करने में असमर्थ हैं और अपनी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति भी नहीं कर सकते। इसलिए बेटियों को उनका अभिभावक नियुक्त किया जाए। पहले यह याचिका गार्जियन एंड वॉर्ड्स एक्ट के तहत दायर की गई थी, जो केवल नाबालिगों के लिए लागू होता है। बाद में इसे संशोधित कर लेटर्स पेटेंट के क्लॉज XVII के तहत दाखिल किया गया।
नागरिक लेन-देन करने में अक्षम होता है मानसिक बीमार
लेटर्स पेटेंट के तहत हाईकोर्ट को उन व्यक्तियों और उनकी संपत्ति से जुड़े मामलों में अधिकार प्राप्त हैं, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ या अक्षम हैं। मानसिक स्वास्थ्य कानून के अनुसार, मानसिक बीमारी वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति की सोचने, समझने और सामान्य जीवन जीने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला ‘लूनेसी’ यानी ऐसी मानसिक स्थिति का है, जिसमें व्यक्ति नागरिक लेन-देन करने में अक्षम हो जाता है। ऐसे मामलों में हाईकोर्ट को व्यक्ति और उसकी संपत्ति के संबंध में अधिकार प्राप्त होते हैं।