
Burnt Indian Currency Found near Judge's Residence
Judge’s Row-12: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट भेजी गई
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 8 मई को जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट और जज वर्मा का जवाब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले अपनी शिकायत उचित अथॉरिटी के पास ले जानी चाहिए। बेंच ने कहा, “मैंडमस रिट की मांग करने से पहले याचिकाकर्ता को उचित मंच पर शिकायत करनी होगी। इसलिए हम इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते। इस स्तर पर अन्य मांगों पर विचार करना जरूरी नहीं है।
जांच के बाद इस्तीफे का दबाव, लेकिन जज वर्मा ने इनकार किया
इन-हाउस जांच कमेटी ने जज वर्मा को दोषी पाया था। इसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा। जब जज वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, तो खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा।
दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद ट्रांसफर हुए थे जज वर्मा
विवाद के बीच जज वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया था।
याचिका में क्या कहा गया था
एडवोकेट मैथ्यूज नेडुमपारा और तीन अन्य लोगों ने याचिका दायर कर जज वर्मा के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की थी। उनका कहना था कि इन-हाउस जांच में आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आंतरिक जांच से केवल अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह आपराधिक जांच का विकल्प नहीं हो सकती।
पहले भी दायर की थी याचिका
मार्च में भी इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन-हाउस जांच को चुनौती दी थी और पुलिस जांच की मांग की थी। उस समय कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि जांच प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
अब जांच पूरी होने के बाद याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आपराधिक कार्रवाई में देरी अब उचित नहीं है।