
Supreme Court India
Bar News: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अब नए लॉ ग्रेजुएट सीधे न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। उन्हें परीक्षा में बैठने से पहले कम से कम तीन साल की वकालत करनी होगी।
यह नियम अगली भर्ती प्रक्रिया से लागू होगा
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन की याचिका पर सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अदालतों में काम करने का अनुभव न्यायिक सेवा में आने वाले उम्मीदवारों के लिए जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह नियम अगली भर्ती प्रक्रिया से लागू होगा।
एलडीसीई कोटा बढ़ाया गया
कोर्ट ने उच्च न्यायिक सेवा यानी जिला जज बनने की प्रक्रिया में भी बदलाव किया है। अब लिमिटेड डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम (एलडीसीई) के जरिए पदोन्नति पाने वालों का कोटा 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि एलडीसीई में केवल मेरिट के आधार पर पदोन्नति होती है, इसलिए इससे न्याय व्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
न्यायिक सेवा में चयन के बाद एक साल की ट्रेनिंग अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जो उम्मीदवार परीक्षा पास कर सिविल जज बनेंगे, उन्हें कोर्ट में बैठने से पहले कम से कम एक साल की ट्रेनिंग लेनी होगी।
कोर्ट ने क्यों लिया यह फैसला
कोर्ट ने कहा कि बिना किसी अनुभव के सीधे न्यायिक सेवा में आने वाले लॉ ग्रेजुएट्स व्यवहार और सोच में समस्याएं दिखाते हैं। कोर्ट ने माना कि युवा लॉ ग्रेजुएट्स के पास सीमित अवसर होते हैं, लेकिन कोर्ट में काम करने का अनुभव उन्हें न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता और जिम्मेदारी समझने में मदद करता है। कोर्ट ने कहा कि यह बदलाव न्यायिक सेवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी है। इससे न्यायाधीशों में मानवीय संवेदनशीलता, निर्णय लेने की स्पष्टता और बार की भूमिका की समझ बढ़ेगी।
नए नियमों के तहत ये बदलाव होंगे
1. 3 साल की प्रैक्टिस जरूरी
अब सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की परीक्षा में वही उम्मीदवार बैठ सकेंगे, जिन्होंने किसी राज्य बार काउंसिल से प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के बाद कम से कम तीन साल तक वकालत की हो।
2. लॉ क्लर्क का अनुभव भी मान्य
जो उम्मीदवार किसी जज या न्यायिक अधिकारी के साथ लॉ क्लर्क के रूप में काम कर चुके हैं, उनका अनुभव भी तीन साल की प्रैक्टिस में जोड़ा जाएगा।
3. प्रमाणपत्र जरूरी होगा
उम्मीदवार को यह प्रमाणित करना होगा कि उन्होंने तीन साल की प्रैक्टिस की है। यह प्रमाणपत्र संबंधित कोर्ट के प्रमुख न्यायिक अधिकारी या 10 साल की प्रैक्टिस वाले वकील द्वारा दिया जाएगा, जिसे कोर्ट के प्रमुख अधिकारी द्वारा सत्यापित किया गया हो।