
Felicitation Ceremony in Honour of BR Gavai...Source Agency
BCI Ceremony: सीजेआई बीआर गवई ने कहा, मैं मीडिया को इंटरव्यू नहीं देता हूं। क्योंकि जजों का काम वादे करना नहीं, बल्कि चुपचाप काम करके दिखाना होता है।
संविधान में किए गए वादे देश के हर नागरिक तक पहुंचें
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने कहा, वे अपने कार्यकाल के दौरान संविधान और कानून के राज को बनाए रखने की पूरी कोशिश करेंगे। वे चाहते हैं कि संविधान में किए गए वादे देश के हर नागरिक तक पहुंचें। गवई ने 14 मई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने कहा, “मेरे पास जो भी समय है, उसमें मैं अपनी शपथ के अनुसार संविधान और कानून के राज को बनाए रखने की पूरी कोशिश करूंगा।
सामाजिक और आर्थिक समानता को साकार करना लक्ष्य
CJI गवई ने कहा कि वे देश के आम नागरिकों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे ताकि संविधान में किए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता के वादे को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि केशवानंद भारती केस का फैसला संविधान के मूल ढांचे को समझने और टकराव की स्थिति में मार्गदर्शन देने वाला रहा है। जब भी मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में टकराव होता है, केशवानंद भारती केस हमारा मार्गदर्शन करता है। यह सिखाता है कि दोनों ही हमारे संविधान की आत्मा हैं।
न्यायपालिका में विविधता और प्रतिनिधित्व की वकालत
CJI गवई ने उच्च न्यायालयों से अपील की कि वे महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से अधिक उम्मीदवारों को न्यायिक नियुक्तियों के लिए नामित करें। उन्होंने कहा, “अगर हाई कोर्ट में उपयुक्त महिला उम्मीदवार नहीं हैं, तो सुप्रीम कोर्ट बार में कई योग्य महिला वकील हैं, उन्हें देखा जाना चाहिए।
निजी अनुभव भी साझा किए
गवई ने अपने चार दशक के कानूनी करियर की यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि वे 1985 से 2023 तक बार के सदस्य रहे और 2025 में रिटायरमेंट के बाद फिर से बार में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह समारोह उनके लिए पारिवारिक उत्सव जैसा है। उन्होंने बताया कि वे पहले आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रशंसक थे और चाहते थे कि उनका बेटा वकील बने। “मेरे पिता जेल जाने के कारण वकील नहीं बन सके, लेकिन उन्होंने चाहा कि उनके बेटे में से कोई एक वकील बने। सबसे बड़ा होने के नाते मैंने उनकी इच्छा पूरी की।
CJI बनने तक का सफर
गवई ने बताया कि वे सरकारी वकील बनने को लेकर संकोच में थे क्योंकि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन जस्टिस शरद बोबडे ने उन्हें यह पद स्वीकार करने की सलाह दी और कहा कि इससे जज बनने का रास्ता आसान होगा। छह महीने में ही उन्हें हाई कोर्ट का जज बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद उन्होंने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) जैसे जटिल विषयों में फैसले लिखे। इसके लिए उन्होंने जस्टिस रोहिंगटन नरीमन को श्रेय दिया, जिन्होंने उन्हें नए विषयों में पारंगत होने के लिए प्रेरित किया।
मीडिया इंटरव्यू से दूरी
गवई ने कहा कि वे मीडिया इंटरव्यू से बचते हैं क्योंकि उसमें किए गए वादे बाद में आलोचना का कारण बनते हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैं ऐसे वादे नहीं करना चाहता जिन्हें मैं निभा न सकूं।”
भारत की विविधता को बताया संविधान की ताकत
उन्होंने कहा कि यह समारोह भारत की विविधता का प्रतीक है। “हमारा संविधान इस तरह से बनाया गया है कि वह देश की भौगोलिक, क्षेत्रीय, धार्मिक, जातीय और आर्थिक विविधताओं को समाहित कर सके,” उन्होंने कहा।
BCI चेयरमैन ने जताई उम्मीद
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि जिनके पास कोई गॉडफादर नहीं है, जो जजों के रिश्तेदार नहीं हैं, लेकिन योग्य हैं, उन्हें भी सीनियर एडवोकेट और जज बनने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि CJI गवई के नेतृत्व में योग्यता और सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता मिलेगी।
मैं थोड़ा शर्मीला हूं…
सीजेआई गवई ने कहा, मैं थोड़ा शर्मीला हूं, लेकिन समाज से जुड़ना पसंद करता हूं। कुछ लोगों ने कहा कि एक जज को इतना लोगों से नहीं मिलना चाहिए, पर मैं इस ‘आइसोलेशन सिद्धांत’ को नहीं मानता। जब तक आप समाज को नहीं जानेंगे, उसकी समस्याएं नहीं समझेंगे। जजों को समाज की जमीनी सच्चाई समझकर फैसले देने चाहिए, केवल कानून की किताबों के सफेद-काले अक्षरों के आधार पर नहीं। मैं यह कहना चाहता हूं कि इस छोटे से कार्यकाल में अपनी शपथ और संविधान के प्रति पूरी ईमानदारी से खड़ा रहूंगा।