
Madhya Pradesh High Court
Defense-Sister: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा, रक्षा मंत्रालय ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना दो वृद्ध बहनों से जबरन 132 साल पुरानी विवादित संपत्ति अपने कब्जे में ले ली, जो पूरी तरह अवैध है।
इंदौर के महू में स्थित लगभग 1.8 एकड़ की संपत्ति पर कब्जा किया
13 मई को पारित आदेश में, इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से रक्षा संपदा अधिकारी ने इंदौर के महू में स्थित लगभग 1.8 एकड़ की संपत्ति पर कब्जा किया, वह कानून के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय की कड़ी आलोचना की। यह आदेश 84 वर्षीय एनी चांदीरामानी और 79 वर्षीय अरुणा रोड्रिग्स द्वारा दायर अपील पर आया, जिनकी याचिका अप्रैल 2024 में एक अपीलीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई थी। वे अस्थायी निषेधाज्ञा (injunction) की मांग कर रही थीं जिससे उन्हें बेदखल होने से रोका जा सके।
यह है मामला
2022 में दीवानी न्यायालय ने बहनों के स्वामित्व के दावे और रक्षा संपदा अधिकारी द्वारा जारी नोटिस को शून्य और अमान्य घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया था। हालांकि अदालत ने माना कि बहनों के पास विवादित संपत्ति का कब्जा है और उन्हें उस पर निवास का अधिकार है। दीवानी अदालत के आदेश के सिर्फ एक दिन बाद, रक्षा संपदा अधिकारी ने बिना किसी वैध बेदखली आदेश के संपत्ति पर कब्जा कर लिया, जो बहनों के अनुसार पूरी तरह अवैध था।
उच्च न्यायालय ने कहा
यह स्पष्ट है कि प्रतिवादियों (रक्षा कर्मियों) ने वादियों (बहनों) को अपील अदालत में जाकर राहत मांगने के लिए 24 घंटे का भी समय नहीं दिया।
संपत्ति विवाद लगभग 30 वर्षों से लंबित
अदालत ने कहा कि यह संपत्ति विवाद लगभग 30 वर्षों से लंबित है, और बहनों को कानूनी राहत मांगने का अवसर दिया जाना चाहिए था। यदि बहनों को न्यायिक प्रक्रिया अपनाने के लिए थोड़ा समय मिल जाता, तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ता। न्यायालय ने रक्षा संपदा अधिकारी की कार्रवाई को पूर्वनियोजित और जानबूझकर अपील से वंचित करने का प्रयास बताया। आदेश में कहा गया, प्रतिवादियों द्वारा विवादित संपत्ति पर कब्जा पूरी तरह अवैध है और कानून के सभी सिद्धांतों के विरुद्ध है। ऐसा व्यवहार अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायालय का निर्देश, रक्षा संपदा अधिकारी को आदेश दिया गया कि वह यथास्थिति बहाल करे और विवादित संपत्ति का कब्जा बहनों को वापस दे। इसके अलावा, अधिकारी को आगे संपत्ति में हस्तक्षेप करने या किसी तीसरे पक्ष के हित बनाने से भी रोका गया है।
यह रहा दो बहनों के संपत्ति का इतिहास
बहनों ने दावा किया कि यह संपत्ति नवंबर 1892 में उनके पूर्वजों द्वारा खरीदी गई थी। जुलाई 1995 में रक्षा मंत्रालय ने “लोक परिसरों (अवैध कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम” के तहत उन्हें नोटिस जारी किया और उनसे स्वामित्व के दस्तावेज मांगे। उन्हें निर्माण कार्य रोकने का निर्देश दिया गया और बेदखली का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। इसके जवाब में बहनों ने 1997 में दीवानी न्यायालय में मुकदमा दायर किया था, जो अब उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। यह निर्णय नागरिक अधिकारों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा, और प्रशासनिक संस्थाओं की जवाबदेही के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।