
Delhi High Court
Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति कोई सामान्य सरकारी भर्ती नहीं है, बल्कि यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है।
जनहित याचिका पर सुनवाई की
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह यह मामला कोर्ट के प्रशासनिक पक्ष पर छोड़ दें, क्योंकि इस पर पहले से काम हो रहा है। कोर्ट ने कहा, ये उच्च संवैधानिक पद हैं। यह कोई सामान्य सरकारी सेवा की भर्ती नहीं है। आप यह नहीं कह सकते कि केंद्र सरकार और हाईकोर्ट इस स्थिति से अनजान हैं। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका में जजों की कमी को लेकर सभी संबंधित पक्ष जागरूक हैं और इस दिशा में प्रयास जारी हैं। कोर्ट ने आगे कहा, “मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस मामले को प्रशासनिक पक्ष पर छोड़ दें। न्यायिक व्यवस्था से जुड़े सभी लोग इस स्थिति से पूरी तरह अवगत हैं। ऐसा नहीं है कि प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।”
सुप्रीम कोर्ट पहले से कर रहा है विचार
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही जजों की नियुक्ति से जुड़े व्यापक मुद्दों पर विचार कर रहा है। इसके बाद याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमित साहनी ने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और कहा कि वह अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट में 40% पद खाली
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की भारी और लगातार बनी रहने वाली कमी न्याय वितरण प्रणाली को प्रभावित कर रही है। याचिका के अनुसार, हाईकोर्ट में 60 जजों की स्वीकृत संख्या है, जिसमें 45 स्थायी और 15 अतिरिक्त जज शामिल हैं। लेकिन फिलहाल केवल 36 जज कार्यरत हैं, यानी करीब 40% पद खाली हैं।
सेवानिवृत्ति और ट्रांसफर से बढ़ी कमी
याचिका में बताया गया कि हाल ही में कई जज सेवानिवृत्त हुए हैं और तीन जज – जस्टिस यशवंत वर्मा, जस्टिस सी.डी. सिंह और जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा – को अन्य हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है। आने वाले महीनों में दो और जज रिटायर होने वाले हैं, जिससे संख्या घटकर 34 रह जाएगी। इससे लंबित मामलों की संख्या और न्याय में देरी की समस्या और बढ़ेगी।
जिला जजों और वकीलों को हाईकोर्ट में पदोन्नत करने की मांग
याचिका में मांग की गई थी कि योग्य जिला जजों और बार से वकीलों को हाईकोर्ट में जल्द से जल्द पदोन्नत किया जाए, ताकि न्यायालय का कामकाज प्रभावी ढंग से चल सके।