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Mumbai Court: मुंबई की स्पेशल मकोका कोर्ट ने हथियार तस्कर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर मां के निधन पर भावुक हो सकते हो, तो मातृभूमि के लिए भी उतने ही भावुक होना चाहिए।
आरोपी को अस्थायी जमानत नहीं मिली
कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा हर नागरिक के लिए सबसे अहम होनी चाहिए। मुस्तफा पिछले 18 साल से जेल में है। 2006 में हथियार बरामदगी के इस मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। आरोपी मुस्तफा सैयद उर्फ मुन्ना मुस्तफा को अपनी मां के निधन के बाद होने वाले धार्मिक कर्मकांड में शामिल होने के लिए कोर्ट से अस्थायी जमानत नहीं मिली।
कोर्ट ने वर्ष 2016 में 12 लोगों को दोषी ठहराया
वर्ष 2016 में इस केस में कोर्ट ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें 26/11 मुंबई हमले का आरोपी जाबिद अंसारी भी शामिल था। सभी को उम्रकैद की सजा दी गई थी। लेकिन मुस्तफा ने पहले सरकारी गवाह बनने की कोशिश की, फिर बयान से पलट गया। इसलिए उसका ट्रायल अलग कर दिया गया, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
मुस्तफा का व्यवहार ऐसा नहीं है कि उसे मानवीय आधार पर जमानत दें
याचिका में कहा गया था कि मां के निधन के बाद होने वाले धार्मिक कर्मकांड भावनात्मक रूप से बेहद जरूरी होते हैं और बेटे के तौर पर मुस्तफा की मौजूदगी जरूरी है। साथ ही यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले ऐसे मामलों में मानवीय आधार पर राहत देने की बात कह चुके हैं। लेकिन स्पेशल जज चकोर बविस्कर ने कहा कि सामान्य स्थिति में यह आधार मान्य हो सकता है, लेकिन आरोपी की 18 साल की जेल की स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि मुस्तफा का व्यवहार ऐसा नहीं है कि उसे मानवीय आधार पर भी अस्थायी जमानत दी जाए।
आरोपी मां के निधन पर भावुक हो सकता है
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद हुए थे। ऐसे में अगर आरोपी मां के निधन पर भावुक हो सकता है, तो उसे मातृभूमि के लिए भी उतना ही भावुक होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा सबसे अहम है और इस मामले की परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी को अस्थायी जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता।