
Supreme Court India
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कहा, विशेष कानूनों के तहत दर्ज मामलों की तेज सुनवाई के लिए अलग से अदालतें बनाना जरूरी है।
गढ़चिरौली में नक्सली हमले के आरोपी की जमानत पर सुनवाई
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि जब विशेष कानूनों के तहत मुकदमे चलाए जाते हैं, तो उनके लिए विशेष अदालतें और पर्याप्त ढांचा होना चाहिए, ताकि कानून का मकसद पूरा हो सके। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डालकर गंभीर मामलों की तेज सुनवाई संभव नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते में इस पर जवाब मांगा है। यह टिप्पणी कोर्ट ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सली हमले के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस हमले में 15 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
ढांचा तैयार करें व जजों की नियुक्ति करें
कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से यह भी पूछा कि क्या विशेष कानूनों के लागू होने के बाद उनके न्यायिक प्रभाव का आकलन किया गया है? कोर्ट ने कहा कि अगर आप विशेष कानूनों के तहत मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो पहले उसके लिए जरूरी न्यायिक ढांचा तैयार करें और जजों की नियुक्ति करें।
सरकार से जवाब के लिए दो हफ्ते का समय
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजकुमार भास्कर ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि जब मामला इतना संवेदनशील है, तो राज्य सरकार ने अब तक विशेष अदालत क्यों नहीं बनाई? ठाकरे ने इस पर समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया और अगली सुनवाई 23 मई को तय की।
जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट यह टिप्पणी कैलाश रामचंदानी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कर रहा था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 5 मार्च 2024 को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। रामचंदानी 2019 से जेल में है और उस पर आरोप है कि उसने पुलिस वाहन की जानकारी नक्सलियों को दी थी, जिससे 1 मई 2019 को गढ़चिरौली के कुरखेड़ा-पुराड़ा रोड पर ब्लास्ट हुआ और 15 पुलिसकर्मी मारे गए।
एनआईए कर रही है जांच
यह मामला बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया। एनआईए ने रामचंदानी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया। हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती, खासकर जब मामला इतना गंभीर हो और 15 पुलिसकर्मियों की जान गई हो।
हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की भूमिका साफ
हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों से साफ है कि रामचंदानी नक्सलियों के संपर्क में था और वह जंगल में उनसे मिलने जाता था। उसने सह-आरोपी को पुलिस वाहन की जानकारी दी थी, जिससे ब्लास्ट की साजिश को अंजाम दिया गया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जानबूझकर आतंकवादी घटना को अंजाम देने में मदद की।