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UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया है कि वे किसी केस की पार्टी को फोन कर कोर्ट में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के लिए पैसे न मांगें।
जस्टिस प्रशांत कुमार की अदालत में सुनवाई
यह मामला जस्टिस प्रशांत कुमार की अदालत में मंगलवार को सुनवाई के दौरान सामने आया। केस की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कमलेश मिश्रा के वकील ने बताया कि जांच अधिकारी (आईओ) मधुसूदन वर्मा ने उन्हें सुबह 11:47 बजे फोन कर 3 हजार रुपए मांगे। यह रकम कोर्ट में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के बदले मांगी गई थी। कोर्ट ने सभी पुलिस अधिकारियों को सर्कुलर जारी कर यह साफ करने के लिए कहा। कोर्ट ने इस तरह की प्रथा को बेहद निंदनीय बताया है। वकीलों ने यह भी बताया कि यह अब एक आम प्रथा बन गई है कि जांच अधिकारी केस की पार्टी को फोन कर एफिडेविट दाखिल करने के लिए पैसे मांगते हैं।
कोर्ट में मौजूद थे जांच अधिकारी
कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी मधुसूदन वर्मा ने स्वीकार किया कि उन्होंने फोन किया था, लेकिन उनका कहना था कि उन्होंने सिर्फ जानकारी लेने के लिए कॉल किया था। कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए जांच अधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख तय की है।
झूठे आरोप लगाने का दावा
अपने हलफनामे में वर्मा ने कहा कि उन्होंने सिर्फ केस में संतोषजनक जवाब देने के लिए फोन किया था और उन्होंने कभी पैसे नहीं मांगे। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने पुलिस विभाग की छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं।
कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ
कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी के हलफनामे में उनके व्यवहार की स्पष्ट व्याख्या नहीं है। इसलिए यह मामला डीजीपी को सौंपा गया है ताकि जांच अधिकारी के खिलाफ उचित जांच की जा सके।