
Illegal Mining work on the bank of river
UP MINING: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की रेत खनन के लिए 13 फरवरी 2023 को जारी ई-नीलामी नोटिस को रद्द करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले को बरकरार रखा है।
अवैध रेत खनन से नदियों का प्राकृतिक बहाव बिगड़ता है
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि अवैध रेत खनन से नदियों का प्राकृतिक बहाव बिगड़ता है, किनारों का कटाव होता है और जलजीवों का आवास नष्ट होता है। इससे बाढ़ का खतरा भी बढ़ता है और इंसानों व जानवरों की जान को खतरा होता है। कोर्ट ने कहा कि बिना नियमन के रेत खनन से नदी तंत्र को गंभीर नुकसान होता है, इसलिए ऐसी गतिविधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रेत खनन की किसी भी प्रक्रिया से पहले जिला सर्वे रिपोर्ट (DSR) का पूरा और वैध होना जरूरी है।
अवैध रेत व्यापार पर भी जताई चिंता
कोर्ट ने कहा कि बिना पूरी और अंतिम DSR के किसी भी खनन परियोजना को पर्यावरण मंजूरी नहीं दी जा सकती।
अवैध रेत व्यापार पर भी जताई चिंता। कोर्ट ने कहा कि अवैध रेत व्यापार अक्सर संगठित अपराध के साए में चलता है, जिससे कानून व्यवस्था और शासन प्रणाली कमजोर होती है। इसलिए सख्त नीति, कड़ाई से पालन और त्वरित जवाबदेही जरूरी है।
ड्राफ्ट DSR मान्य नहीं
बेंच ने कहा कि ड्राफ्ट DSR को अंतिम रिपोर्ट की तरह मानना गलत है। यह जिला स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (DEAC) और जिला पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (DEIAA) के लिए किसी भी सिफारिश का आधार नहीं हो सकता, खासकर उन परियोजनाओं के लिए जिनका क्षेत्रफल 5 हेक्टेयर या उससे कम है। कोर्ट ने कहा कि DSR ही पर्यावरण मंजूरी के लिए आधार बनेगी और परियोजनाओं के मूल्यांकन में इसका उपयोग होगा। यह रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय और जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।
स्थायी समाधान: संतुलित विकास
कोर्ट ने कहा कि पूरी तरह से रेत खनन पर रोक लगाना पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है। समाधान यह है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाया जाए।
DSR की प्रक्रिया और समयसीमा
- DSR सभी जिलों के लिए तैयार की जाएगी।
- ड्राफ्ट रिपोर्ट को 21 दिन के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
- इस दौरान मिले सुझावों को अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
- अंतिम DSR छह महीने में DEIAA द्वारा मंजूर की जाएगी।
- इसकी वैधता पांच साल होगी।
- पांच साल बाद नई DSR बनानी होगी, क्योंकि पर्यावरणीय स्थितियां तेजी से बदलती हैं।