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Judge’s appointment: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति से जुड़ी लंबित सिफारिशों को जल्द मंजूरी दे।
लंबित प्रस्ताव पर जल्द मंजूरी दें: शीर्ष कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि देशभर की हाईकोर्ट्स में 7 लाख से ज्यादा आपराधिक अपीलें लंबित हैं, जो न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2.7 लाख आपराधिक अपीलें लंबित हैं। यहां 160 जजों की स्वीकृत संख्या है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 79 जज काम कर रहे हैं। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को कॉलेजियम की सिफारिशों को जल्द मंजूरी देनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि लंबित प्रस्तावों को केंद्र जल्द क्लियर करेगा।
13 सिफारिशें 2024 की, 4 सिफारिशें 2023 की लंबित
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि दो दिन पहले हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति से जुड़ी कॉलेजियम की सिफारिशें वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थीं। इनमें 2023 की 4 और 2024 की 13 सिफारिशें अभी भी केंद्र के पास लंबित हैं। सबसे हाल की सिफारिश 24 सितंबर 2024 को की गई थी, जो अब तक मंजूर नहीं हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह मामला उस स्वत: संज्ञान याचिका से जुड़ा है, जिसमें जमानत मिलने के बाद भी विचाराधीन कैदियों की रिहाई में देरी की बात उठाई गई थी। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी लिज मैथ्यू के सुझावों पर विचार करने के बाद ये निर्देश दिए।
डिजिटाइजेशन और एआई टूल का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट्स से कहा कि वे आपराधिक रिकॉर्ड्स का डिजिटाइजेशन करें और अनुवाद के लिए सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर (Supreme Court Vidhik Anuvaad Software) जैसे एआई टूल का इस्तेमाल करें। कोर्ट ने कहा कि यह समस्या सभी हाईकोर्ट्स में गंभीर है।
अस्थायी जजों की नियुक्ति पर विचार
कोर्ट ने कहा कि आपराधिक अपीलों की सुनवाई के लिए अस्थायी जजों की नियुक्ति का मुद्दा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और सरकार के बीच विचाराधीन है, इसलिए इस पर फिलहाल कोर्ट कुछ नहीं कहेगा।
चार हफ्ते में एक्शन प्लान मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट्स से कहा कि वे चार हफ्तों के भीतर लंबित मामलों को कम करने के लिए अपना एक्शन प्लान रिकॉर्ड पर रखें। कोर्ट ने यह भी माना कि बार-बार स्थगन (adjournment) भी लंबित मामलों की एक बड़ी वजह है। ऐसे में अगर आरोपी की ओर से वकील सहयोग नहीं कर रहा हो, तो कोर्ट को कानूनी सहायता से वकील नियुक्त करना चाहिए।
अन्य हाईकोर्ट्स की स्थिति भी चिंताजनक
- बॉम्बे हाईकोर्ट में 94 जजों की मंजूरी है, लेकिन सिर्फ 66 जज कार्यरत हैं।
- कलकत्ता हाईकोर्ट में 72 की जगह सिर्फ 44 जज काम कर रहे हैं।
- दिल्ली हाईकोर्ट में 60 की जगह सिर्फ 41 जज हैं और यहां भी आपराधिक अपीलों की संख्या बहुत ज्यादा है।
राज्यों में लंबित मामलों की स्थिति
- मध्यप्रदेश: 1,15,382 आपराधिक अपीलें लंबित
- पटना हाईकोर्ट: 44,664
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट: 79,326
- राजस्थान हाईकोर्ट: 56,000 से ज्यादा
- बॉम्बे हाईकोर्ट: 28,257
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: 18,000 से ज्यादा