
NCLAT
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) अपील दायर करने में अधिकतम 15 दिन की देरी ही माफ कर सकता है।
देरी माफ करने का अधिकार NCLAT के पास नहीं है…
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि IBC की धारा 61(2) के प्रावधान के मुताबिक, अपील दायर करने के लिए 30 दिन की समयसीमा है और इसके बाद सिर्फ 15 दिन की देरी ही माफ की जा सकती है। इससे ज्यादा देरी माफ करने का अधिकार NCLAT के पास नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत अपील और कानूनी कार्रवाई के लिए सख्त समयसीमा तय की गई है, ताकि समयसीमा पार कर चुके कर्जों की वसूली के लिए इस कानून का गलत इस्तेमाल न हो।
IBC के तहत अपीलीय प्रक्रिया को समयबद्ध रखा गया है: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि IBC के तहत अपीलीय प्रक्रिया को समयबद्ध रखा गया है ताकि इनसॉल्वेंसी समाधान प्रक्रिया की गति और निश्चितता बनी रहे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कानून में देरी माफ करने का प्रावधान नहीं है, तो एक दिन की देरी भी अपील को खारिज करने के लिए काफी है। फैसले में कहा गया, अगर तय सीमा से ज्यादा देरी माफ की जाने लगी तो इससे कानून की मंशा कमजोर होगी और देर से या बेबुनियाद याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी। इससे अपीलीय प्रक्रिया की प्रभावशीलता और अंतिमता पर असर पड़ेगा। यह फैसला उस अपील पर आया, जिसमें NCLAT द्वारा अपील में देरी माफ करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।