
Shiv Sena Logo
SENA-SYMBOL: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (यूबीटी) गुट से कहा कि वे महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान दें।
तत्काल सुनवाई की मांग की
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि समय की कमी के कारण इस मामले की सुनवाई अब गर्मी की छुट्टियों के बाद ही हो सकेगी। शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष के उस फैसले के खिलाफ तत्काल सुनवाई की मांग की, जिसमें धनुष-बाण चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया गया था।
सिब्बल ने दिए तर्क
सिब्बल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने 2023 में शिंदे गुट को धनुष-बाण चिह्न विधायी बहुमत के आधार पर दिया, जो सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह चिह्न ग्रामीण इलाकों में खासा असर डालता है और स्थानीय चुनावों में इसका इस्तेमाल शिंदे गुट को फायदा देगा। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या स्थानीय निकाय चुनाव पार्टी चिह्न पर लड़े जाते हैं? सिब्बल ने जवाब दिया कि महाराष्ट्र में ऐसा होता है और चिह्न का मतदाताओं पर बड़ा असर पड़ता है।
कोर्ट ने कहा- पहले चुनाव होने दें
बेंच ने कहा, आप पहले चुनाव होने दीजिए। हमें बताया गया है कि महाराष्ट्र में पिछले पांच साल से स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हुए हैं। आप चुनाव पर ध्यान दीजिए, हम देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि 2022 में कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, इसी कारण चुनाव नहीं हो सके। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप सिस्टम को ही देरी के लिए दोषी ठहरा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मामला बहुत जरूरी है तो गर्मी की छुट्टियों में भी इसे सुना जा सकता है।
स्थानीय चुनावों का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों का रास्ता साफ कर दिया था। ये चुनाव आरक्षण विवाद के चलते पांच साल से रुके हुए थे। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चार हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
स्पीकर ने नहीं की किसी विधायक की अयोग्यता घोषित
10 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना (यूबीटी) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी और कहा कि स्पीकर का फैसला “गैरकानूनी और पक्षपातपूर्ण” है। याचिका में कहा गया कि स्पीकर ने बहुमत वाले विधायकों को ही असली पार्टी मान लिया, जो गलत है।
शिंदे की स्थिति और मजबूत हुई
स्पीकर के फैसले से शिंदे की मुख्यमंत्री के रूप में स्थिति और मजबूत हो गई। उन्होंने ठाकरे के खिलाफ बगावत कर सत्ता में आने के 18 महीने बाद यह कानूनी मान्यता हासिल की। इससे भाजपा और अजित पवार गुट वाली एनसीपी के साथ उनकी गठबंधन सरकार को भी मजबूती मिली।
2024 लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन
2024 के लोकसभा चुनाव में शिंदे गुट ने 7 सीटें जीतीं, जबकि विधानसभा चुनाव में उसे 57 सीटें मिलीं। भाजपा को 132 और अजित पवार गुट को 41 सीटें मिलीं। दिसंबर 2024 में देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बने, जबकि शिंदे और पवार उपमुख्यमंत्री बनाए गए।