
Supreme Court
LIQUOR SCAM: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई।
अभियोजन कोर्ट में टिक नहीं पाएगा
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की बेंच ने कहा, ईडी कई मामलों में यही तरीका अपना रही है। आप बिना सबूत के आरोप लगाते हैं। इस तरह से अभियोजन कोर्ट में टिक नहीं पाएगा। कोर्ट ने कहा कि ईडी बिना किसी ठोस सबूत के आरोप लगा रही है और यह उसकी आदत बन गई है। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने दावा किया कि अरविंद सिंह ने विकास अग्रवाल नाम के व्यक्ति के साथ मिलकर 40 करोड़ रुपए कमाए। जब कोर्ट ने पूछा कि क्या विकास अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है, तो राजू ने बताया कि वह फरार है।
सिंह ने करोड़ रुपये कमाए, पर कंपनी से क्या संबंध है: कोर्ट
कोर्ट ने कहा, “आपने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि सिंह ने 40 करोड़ रुपए कमाए, लेकिन आप यह नहीं दिखा पा रहे कि उसका किसी कंपनी से क्या संबंध है। क्या वह कंपनी का डायरेक्टर है, क्या वह बहुसंख्यक शेयरधारक है, क्या वह मैनेजिंग डायरेक्टर है? कुछ तो होना चाहिए। राजू ने कहा कि कोई व्यक्ति कंपनी को नियंत्रित कर सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह कंपनी के कामकाज के लिए जिम्मेदार हो। इस पर कोर्ट ने कहा कि ईडी केवल सतही आरोप लगा रही है।
पहले भी कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को भी छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा था कि वह आरोपी को कब तक जेल में रखेगी। कोर्ट ने कहा था कि तीन चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं, लेकिन जांच अब भी जारी है। कोर्ट ने कहा था, “जांच अपनी रफ्तार से चलती रहेगी, शायद अनंत तक। आप आरोपी को जेल में रखकर उसे सजा दे रहे हैं। आपने प्रक्रिया को ही सजा बना दिया है। यह कोई आतंकी या तिहरे हत्याकांड का मामला नहीं है।
आरोपियों से आमने-सामने बैठाकर होगी पूछताछ: सरकार
राज्य सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी को अन्य आरोपियों से आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है। आरोपी की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि तीन चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं। कोर्ट ने अरविंद सिंह और अमित सिंह को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की अनुमति दी और अगली सुनवाई 9 मई को तय की।
यह है छत्तीसगढ़ में हुआ शराब घोटाला
ईडी के अनुसार, यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ। इसमें राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों, निजी लोगों और राजनीतिक नेताओं का एक सिंडिकेट शामिल था, जिसने 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध कमाई की। ईडी का आरोप है कि राज्य में शराब की खरीद-बिक्री करने वाली सरकारी संस्था CSMCL से शराब खरीदने पर डिस्टिलर्स से प्रति केस रिश्वत ली जाती थी। देशी शराब को बिना रिकॉर्ड के बेचा जा रहा था।
इनकम टैक्स विभाग की चार्जशीट के आधार पर केस
जांच एजेंसी के मुताबिक, डिस्टिलर्स को एक कार्टेल बनाने और बाजार में तय हिस्सेदारी देने के लिए रिश्वत ली जाती थी। यह मनी लॉन्ड्रिंग केस 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दाखिल इनकम टैक्स विभाग की चार्जशीट के आधार पर शुरू हुआ था।