
Delhi Police team deployed on the road
Delhi Police: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त, संयुक्त आयुक्त (पूर्वी) और डीसीपी (पूर्वी) पर प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है।
दोनों कांस्टेबलों को तत्काल सेवा में बहाल किया जाए
अधिकरण ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि दोनों कांस्टेबलों को तत्काल सेवा में बहाल किया जाए। हालांकि, पुलिस विभाग को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह उनके खिलाफ सही प्रक्रिया के तहत विभागीय जांच शुरू करे और अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। इसके अलावा, तीनों वरिष्ठ अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में प्रतिकूल टिप्पणी की जाएगी। अधिकरण के मुताबिक, यह जुर्माना बिना उचित विभागीय जांच के दो कांस्टेबलों को सेवा से बर्खास्त करने के मामले में लगाया गया है। CAT ने आदेश दिया कि यह जुर्माना राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाए।
28 लाख की कथित लूट का मामला
मामला जुलाई 2023 का है जब कंझावला थाने में तैनात दो कांस्टेबलों के खिलाफ स्थानीय व्यक्ति इमरान ने गंभीर आरोप लगाए। इमरान, जो कथित तौर पर सट्टेबाज़ी का काम करता था, ने शिकायत में कहा कि वह एक धोखाधड़ी मामले में गलत तरीके से आरोपी बनाया गया, और PCR कॉल पर पहुंचे दोनों कांस्टेबलों ने न सिर्फ उसे पीटा, बल्कि ₹28.5 लाख से अधिक की नकदी भी ले गए। बाद में दोनों कांस्टेबलों को गिरफ्तार किया गया और ₹26 लाख से अधिक की नकदी बरामद भी हुई। मामला तब विवादास्पद हो गया जब पुलिस ने हेड कांस्टेबल मंगतू और कांस्टेबल आकाश को बिना विभागीय जांच के सेवा से बर्खास्त कर दिया। एक हफ्ते के भीतर ही अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(b) के तहत उन्हें बर्खास्त कर दिया, जिसमें बिना विभागीय जांच के सेवा समाप्ति की अनुमति दी जाती है, यदि ऐसी जांच “वास्तव में व्यावहारिक न हो।”
प्रक्रिया पर उठे सवाल, CAT का हस्तक्षेप
बर्खास्तगी के खिलाफ दोनों कांस्टेबलों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण का रुख किया। दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता स्वयं अपराध में लिप्त था और इस बात की “संभावना थी कि कोई गवाह उनके खिलाफ गवाही नहीं देगा”, इसलिए विभागीय जांच करना व्यावहारिक नहीं था। उन्होंने यह भी कहा, “ऐसे मामलों में आमतौर पर अभियुक्त पुलिसकर्मी अपनी पद की स्थिति का लाभ उठाकर गवाहों को प्रभावित कर देते हैं, जिससे वे गवाही नहीं देते।”
CAT ने माना बर्खास्तगी अवैध
16 अप्रैल को दिए गए फैसले में CAT ने कहा कि यह बर्खास्तगी अवैध है। न्यायाधिकरण ने कहा, “हम उत्तरदाताओं (पुलिस अधिकारियों) की निष्क्रियता पर मूक दर्शक नहीं बन सकते।” अतः, दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया कि दोनों कांस्टेबलों को तुरंत सेवा में बहाल किया जाए और उन्हें वरिष्ठता व अन्य लाभ भी प्रदान किए जाएं।