
woman sitting on chair
Posco case: मद्रास हाई कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत एक 22 वर्षीय युवक को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। उस पर आरोप था कि उसने एक 17 वर्षीय लड़की से यौन संबंध बनाए, जो बाद में मुकदमे की कार्यवाही के दौरान उसकी पत्नी बन गई।
POCSO कानून के उद्देश्य पर की बात
कोर्ट ने अपने कड़े शब्दों वाले फैसले में कहा, “POCSO कानून यह स्पष्ट रूप से कहता है कि 18 वर्ष की आयु से पहले किसी भी प्रकार की सहमति का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।” न्यायालय ने आगे कहा, “पीड़िता से बाद में विवाह कर लेना उस अपराध से मुक्ति नहीं दिला सकता जो उसने उस समय किया जब लड़की कानूनी रूप से एक बच्ची थी। यदि ऐसे बचाव को स्वीकार कर लिया जाए, तो यह POCSO कानून के उद्देश्य को ही विफल कर देगा।”
प्रेम संबंध से भागकर शादी तक का मामला
यह मामला उस समय शुरू हुआ जब युवक और लड़की, जो पड़ोसी थे, एक-दूसरे से प्रेम करने लगे। जब लड़की के माता-पिता को इस संबंध की जानकारी मिली तो दोनों परिवारों में विवाद हो गया। लड़की के माता-पिता ने उसकी शादी किसी और लड़के से तय कर दी। इस तय विवाह का विरोध करते हुए लड़की ने युवक से संपर्क किया और दोनों मिलकर कर्नाटक के मैसूरु भाग गए। वहां वे कुछ दिन एक रिश्तेदार के घर पर रुके। लेकिन जब उन्हें पता चला कि लड़की के माता-पिता ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है, तो वे अपने शहर लौट आए।
POCSO के तहत सहमति नहीं मानी जाएगी
एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज बयान में लड़की ने कहा कि युवक ने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे। हाई कोर्ट ने इस बात पर बल दिया कि घटना के समय लड़की नाबालिग थी और POCSO कानून के अनुसार कानूनी रूप से “बालिका” मानी जाती थी, इसलिए न तो सहमति का सवाल उठता है और न ही भागने की बात को कोई कानूनी मान्यता दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि, “ऐसे अपराधों को केवल व्यक्ति विशेष के विरुद्ध नहीं, बल्कि पूरे समाज के विरुद्ध अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए।