
close up photo of a wooden gavel
Bombay HC: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया है कि वह एक प्रैक्टिसिंग वकील द्वारा न्यायमूर्ति माधव जमदार को की गई फोन कॉल्स की जांच करे।
लेन-देन को नकद में पूरा करने का प्रयास किया
अदालत ने कहा, ये कॉल्स एक संपत्ति की बिक्री को लेकर की गई थीं, लेकिन कोर्ट को संदेह है कि यह एक सोची-समझी साजिश हो सकती है, जिसका उद्देश्य “कोर्ट को फंसाना” था। यह गंभीर आरोप ऐसे समय सामने आया, जब न्यायमूर्ति जमदार और उनकी पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से स्वामित्व वाले मुंबई के शिवड़ी इलाके के एक फ्लैट को ऑनलाइन बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
वकील पार्थो सरकार ने फ्लैट खरीदने में रुचि दिखाई
रिपोर्ट के अनुसार, वकील पार्थो सरकार ने फ्लैट खरीदने में रुचि दिखाई और इस महीने की शुरुआत में न्यायमूर्ति जमदार की पत्नी से संपर्क किया। लेन-देन को नकद में पूरा करने का प्रयास किया गया, जिस पर न्यायमूर्ति जमदार ने आपत्ति जताई और चेक के माध्यम से भुगतान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक हाई कोर्ट के न्यायाधीश होने के नाते वह केवल वैध माध्यम से ही भुगतान स्वीकार कर सकते हैं।
पार्थो सरकार ने अपनी वकालत की जानकारी छुपाई
29 अप्रैल 2025 को एक निर्देश में न्यायमूर्ति जमदार ने बताया, सरकार ने मेरी पत्नी से बातचीत के दौरान कहा कि वह जल्द से जल्द सौदा पूरा करना चाहता है। जब मैंने नकद भुगतान से इनकार किया, तो वह लगभग 20-30 सेकंड तक हंसा और फिर चेक से भुगतान की बात कही। बाद में मुझे उसकी हँसी अस्वाभाविक लगी और मैंने उसकी व्हाट्सएप प्रोफाइल तस्वीर देखी, जो एक अधिवक्ता की थी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्थो सरकार ने अपनी वकालत की जानकारी छुपाई, जबकि उसे पता था कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के जज से बात कर रहा है। इसके बाद न्यायमूर्ति की पत्नी ने सरकार का नंबर ब्लॉक कर दिया।
कोर्ट को फंसाने का प्रयास किया गया: कोर्ट
न्यायमूर्ति जमदार ने कहा, यह स्पष्ट है कि कोर्ट को फंसाने का प्रयास किया गया है। हालांकि, पार्थो सरकार ने अदालत में कहा कि वह 2023 से फ्लैट को लेकर न्यायमूर्ति की पत्नी से बातचीत कर रहे थे। लेकिन अदालत ने उनके इरादों को अस्पष्ट बताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि 29 अक्टूबर 2023 को एक कॉल को छोड़कर, 22 से 24 अप्रैल 2025 के बीच ही बाकी कॉल्स की गईं, जिससे संदेह और गहरा हुआ। कोर्ट ने इस घटना को उस पृष्ठभूमि में देखा, जब दो अन्य वकील मैथ्यू नेडुमपारा और विजय कुर्ले को न्यायालय में अनुचित आचरण के लिए फटकार लगाई गई थी। अदालत ने नोट किया कि ये तीनों वकील—सरकार, नेडुमपारा और कुर्ले—आपस में अच्छी तरह परिचित हैं और एक साथ मामलों में पेश हुए हैं।
अदालत के बैठने के निर्देश को ‘अपमानजनक’ बताया
न्यायमूर्ति जमदार की पीठ के समक्ष एक याचिका में पेश हुए नेडुमपारा ने 17 अप्रैल को अदालत के बैठने के निर्देश को ‘अपमानजनक’ बताया और कहा कि वह कोर्ट के ‘नौकर’ नहीं हैं। कोर्ट ने इस बयान को “कोर्ट को नीचा दिखाने और डराने का प्रयास” मानते हुए अवमानना के दायरे में माना। नेडुमपारा को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला देने को कहा गया जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था, साथ ही उन्हें एक हलफनामा भी देना था कि वे दोबारा ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कोर्ट रूम छोड़ दिया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल वहीं लागू होता है। इसके बाद अदालत ने पुलिस और स्टाफ को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
महाराष्ट्र और गोवा की बार काउंसिल ने वकील पर कार्रवाई शुरू की
इस घटनाक्रम से पहले, 9 अप्रैल को महाराष्ट्र और गोवा की बार काउंसिल ने वकील विजय कुर्ले के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि वह सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे। वहीं, अधिवक्ता सुभाष झा—जिन्हें नेडुमपारा के सहयोगियों ने बुलाया था—ने बीच-बचाव की कोशिश की। कोर्ट ने स्पष्ट किया, “यह बार और बेंच के बीच टकराव नहीं है, बल्कि कुछ गिने-चुने वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो न्यायपालिका को बदनाम करने और न्यायाधीशों को डराने का प्रयास कर रहे हैं।
जांच के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा
मामले की गंभीरता को देखते हुए लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर को भी इस प्रकरण में शामिल किया गया। उन्होंने जांच के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा ताकि मालाबार हिल पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रिपोर्ट तैयार कर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंप सकें। इस पूरे घटनाक्रम के बाद न्यायमूर्ति जमदार ने यह घोषणा की कि वे अब उन याचिकाओं की सुनवाई नहीं करेंगे, जिनमें वकील नेडुमपारा पेश होंगे।