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Bar News: बेंगलुरु अधिवक्ता संघ (AAB) ने कर्नाटक हाईकोर्ट की कार्यवाही का बहिष्कार किया। यह कदम कोर्ट के चार मौजूदा न्यायाधीशों के हालिया स्थानांतरण की सिफारिशों के विरोध में उठाया गया।
पारदर्शिता की कमी को लेकर गंभीर चिंता जताई
संघ ने 23 अप्रैल 2025 को आयोजित आमसभा बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की इस कार्रवाई की निंदा की। संघ ने इस निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर गंभीर चिंता जताई है और कॉलेजियम पर आरोप लगाया है कि उसने कर्नाटक की न्यायपालिका को नजरअंदाज़ किया है। AAB ने अपने बयान में कहा, “यह निर्णय अधिवक्ताओं के बीच गहरी पीड़ा और बढ़ते असंतोष को दर्शाता है, जो लगातार कर्नाटक की न्यायपालिका को महत्वपूर्ण निर्णयों से अलग रखने से उत्पन्न हुआ है। संघ ने धारवाड़ और गुलबर्गा पीठों सहित अन्य बार एसोसिएशनों से एकजुटता दिखाते हुए इस विरोध में शामिल होने की अपील की है, ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा की रक्षा की जा सके। संघ ने यह विरोध 23 अप्रैल 2025 को एक घंटे के प्रतीकात्मक कार्य बहिष्कार के बाद किया गया।
न्याय के प्रशासन की गुणवत्ता को मजबूत करना मुख्य उद्देश्य…
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी बयान के अनुसार, इन स्थानांतरणों का उद्देश्य उच्च न्यायालयों में समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देना और न्याय के प्रशासन की गुणवत्ता को मजबूत करना है। हालांकि, इस कदम ने कानूनी समुदाय में व्यापक विरोध को जन्म दिया है। बेंगलुरु और धारवाड़ के अधिवक्ता संघों के नेताओं ने इससे पहले भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इन प्रस्तावित स्थानांतरणों पर कड़ा विरोध दर्ज किया था।
यह है सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के 21 अप्रैल को कर्नाटक हाईकोर्ट के चार न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश
न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित को ओडिशा हाईकोर्ट,
न्यायमूर्ति के. नटराजन को केरल हाईकोर्ट,
न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदार को मद्रास हाईकोर्ट,
न्यायमूर्ति संजय गौड़ा को गुजरात हाईकोर्ट