
Shivraj Chauhan
Defame Case : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से कहा, वे आपसी सहमति से कांग्रेस नेता द्वारा वरिष्ठ बीजेपी नेता के खिलाफ दायर मानहानि मामले का समाधान करें।
मानहानि मामले को खारिज करने से किया इंकार
न्यायमूर्ति एम एम सुंद्रेश और राजेश बिंदल की पीठ ने दोनों पक्षों के वरिष्ठ वकीलों महेश जेठमलानी और कपिल सिब्बल से कहा, “कृपया हमें यह मामला सुनने के लिए मजबूर न करें। इसे यहीं समाप्त करें। आप दोनों बैठें और इस मामले को सुलझाएं। शीर्ष अदालत चौहान की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मानहानि मामले को खारिज करने से इंकार कर दिया गया था।
यह है कांग्रेस नेता तन्खा का आरोप
कांग्रेस नेता तन्खा ने आरोप लगाया है कि चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ “समन्वित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा और मानहानिकारक” अभियान चलाया था। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी नेताओं ने उन्हें 2021 में मध्य प्रदेश पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विरोध करने वाला बताया। पीठ ने 21 मई तक सुनवाई स्थगित कर दी और सिब्बल के इस बयान को रिकॉर्ड किया कि तन्खा, ट्रायल कोर्ट में चौहान की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की याचिका का विरोध नहीं करेंगे। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने चौहान को ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने का आदेश बढ़ाया था। साथ ही तीनों बीजेपी नेताओं के खिलाफ जारी जमानती वारंटों के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी गई थी।
महेश जेठमलानी व कपिल सिब्बल के बीच चले तर्क
महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि तन्खा की शिकायत में उल्लेखित कथित बयान विधानसभा में दिए गए थे और वे संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत संरक्षित हैं। इस अनुच्छेद के अनुसार, “राज्य की विधान सभा का कोई भी सदस्य, विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी बात या दिए गए वोट के लिए किसी न्यायालय की कार्यवाही में उत्तरदायी नहीं होगा। कहा कि यह अभूतपूर्व है कि समन के मामले में, जब पक्षकार वकील के माध्यम से उपस्थित हो सकते हैं, तब कोर्ट द्वारा जमानती वारंट जारी किया गया। सिब्बल ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होना चाहिए था और पूछा कि यदि वे नहीं आते तो कोर्ट क्या करता। जेठमलानी ने बताया कि जिन दो बयानों को मानहानिकारक बताया गया, वे 22 और 25 दिसंबर 2021 के हैं, और ये सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश से जुड़े थे, जिसमें पंचायत चुनावों पर रोक लगाई गई थी।
तन्खा की याचिका पर 10 करोड़ मुआवजे की मांग
25 अक्टूबर 2023 को, हाई कोर्ट ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले को खारिज करने से इंकार कर दिया था। तन्खा की याचिका में 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है, साथ ही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू करने की गुहार भी लगाई गई है। 20 जनवरी 2024 को, जबलपुर की विशेष अदालत ने इस मामले में आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत तीनों बीजेपी नेताओं को समन जारी किया था।
कपिल सिब्बल ने कहा
“यदि चौहान खेद व्यक्त करें, तो मैं इस मानहानि मामले को सुलझाने के लिए तैयार हूं।”
महेश जेठमलानी ने जवाब दिया
“यदि कोई गलती नहीं हुई तो मंत्री को खेद क्यों प्रकट करना चाहिए?”व्यक्तिगत रूप से उन्हें सिब्बल के साथ बैठकर बातचीत करने में कोई आपत्ति नहीं है।