
Supreme Court
Waqf Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर कोई मुस्लिम सदस्य राज्य बार काउंसिल का सदस्य नहीं रहता, तो वह राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य बने रहने के योग्य नहीं होता।
मणिपुर बार काउंसिल का सदस्य चुने जाने के बाद वक्फ बोर्ड में नियुक्त था
शीर्ष कोर्ट ने साफ किया कि वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए दो शर्तें जरूरी हैं—पहली, व्यक्ति मुस्लिम हो और दूसरी, वह संसद, राज्य विधानसभा या बार काउंसिल का सक्रिय सदस्य हो। अगर कोई इन दोनों शर्तों को पूरा नहीं करता, तो वह वक्फ बोर्ड का सदस्य नहीं रह सकता। यह मामला मणिपुर वक्फ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद फिरोज अहमद खालिद से जुड़ा था। उन्हें फरवरी 2023 में मणिपुर बार काउंसिल का सदस्य चुने जाने के बाद वक्फ बोर्ड में नियुक्त किया गया था। उन्होंने उस व्यक्ति की जगह ली थी, जो दिसंबर 2022 के चुनाव में बार काउंसिल की सदस्यता हार गया था।
हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मणिपुर हाईकोर्ट के एकल पीठ ने खालिद की नियुक्ति को सही ठहराया था, लेकिन डिवीजन बेंच ने यह कहते हुए फैसला पलट दिया था कि कानून में यह स्पष्ट नहीं है कि बार काउंसिल की सदस्यता खत्म होने पर वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने डिवीजन बेंच के फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वक्फ एक्ट की धारा 14(2) के दूसरे प्रावधान के तहत, अगर बार काउंसिल में कोई मुस्लिम सदस्य नहीं है, तभी पूर्व सदस्य को अपवादस्वरूप वक्फ बोर्ड में नियुक्त किया जा सकता है।