
Lawyer strike in Allahabad...File Photo
Bar-Bench: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में कथित भाई-भतीजावाद का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।
21 अप्रैल को कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में 21 अप्रैल को कार्यकारिणी की आपात बैठक आयोजित की गई। बैठक के बाद जारी बयान में बार एसोसिएशन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हाईकोर्ट के कोलेजियम द्वारा ऐसे अधिवक्ताओं के नाम न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित किए जा रहे हैं, जिन्होंने कभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत ही नहीं की। बयान में कहा गया, “सवाल यह है कि कोलेजियम के माननीय न्यायाधीश ऐसे अधिवक्ताओं की क्षमता का मूल्यांकन कैसे करते हैं, जिन्होंने उनके समक्ष कभी दलील ही नहीं दी?”
बार एसोसिएशन से नियुक्ति प्रक्रिया में परामर्श नहीं लिया जाता
एसोसिएशन ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि ऐसे अधिवक्ताओं के नाम बिना उनकी योग्यता की जांच के ही अनुशंसित किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया निश्चित रूप से नियुक्ति की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है और यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट में योग्य अधिवक्ताओं की कमी है। बयान में आगे कहा गया, “यह भी देखा गया है कि केवल उन्हीं अधिवक्ताओं के नाम अनुशंसित किए जाते हैं जो या तो किसी माननीय न्यायाधीश के परिवार से ताल्लुक रखते हैं या किसी प्रभावशाली अधिवक्ता के परिवार से संबंधित हैं। इस नियुक्ति प्रक्रिया में बार एसोसिएशन से कोई परामर्श नहीं लिया जाता।
प्रस्ताव की प्रति सभी न्यायमूर्ति, पीएम आदि को भेजा
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया है और यह निर्णय लिया है कि इस प्रस्ताव की एक प्रति सभी न्यायमूर्तियों, प्रधानमंत्री, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा देश की सभी बार एसोसिएशनों को भेजी जाएगी, ताकि अपना विरोध दर्ज कराया जा सके।