
Woman walking on pathway while strolling luggage
SC News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश के हवाई अड्डों पर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपयुक्त सुविधाओं, जैसे कि व्हीलचेयर, की कमी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है।
भारत को उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए…
शीर्ष कोर्ट में न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा, यह मानवीय जीवन का मामला है, इसलिए इससे निपटने के लिए निवारक उपाय आवश्यक हैं। व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं समय पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि यात्रियों की पीड़ा को रोका जा सके। अदालत ने कहा कि इन सभी सुविधाओं को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) और एयरलाइन कंपनियों द्वारा स्वप्रेरणा से (suo motu) प्रदान किया जाना चाहिए, और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारत इस मामले में उदाहरण प्रस्तुत करे।
सभी एयरलाइनों की संवेदनशीलता आवश्यक है…
पीठ ने कहा, हम मानवीय जीवन को लेकर चिंतित हैं। किसी को भी कष्ट नहीं उठाना चाहिए। इसके लिए एयरपोर्ट प्रबंधन प्राधिकरण और सभी एयरलाइनों की संवेदनशीलता आवश्यक है। हमें इन मुद्दों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना होगा। हम चाहते हैं कि भारत में सभी एयरलाइनों द्वारा सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू किया जाए। पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी — एक एक वरिष्ठ नागरिक और उनकी बेटी द्वारा, और दूसरी एक 53 वर्षीय पुरुष द्वारा, जिसमें मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर और अन्य सुविधाएं न मिलने की शिकायत की गई थी।
मां-बेटी ने कहा- केवल एक ही व्हीलचेयर दी गई
मां-बेटी की याचिका में कहा गया कि सितंबर 2023 में मुंबई में लैंडिंग के बाद उन्हें केवल एक ही व्हीलचेयर दी गई, जिसके कारण 81 वर्षीय महिला को अपनी व्हीलचेयर अपनी बेटी को देनी पड़ी, जो तीव्र गठिया (arthritis) से पीड़ित थीं। DGCA ने सोमवार को अदालत में दिए गए हलफनामे में कहा कि हवाई अड्डे पर कई कारणों, जैसे कि ओवर-बुकिंग, के कारण व्हीलचेयर की कमी हो गई थी। हालांकि, अदालत ने इस तरह के बहाने को अस्वीकार कर दिया। इसके निवारक उपाय किए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा, और जोड़ा कि एक व्यक्ति स्वस्थ होकर हवाई अड्डे आता है लेकिन अचानक बीमार पड़ सकता है और उसे सहायता की जरूरत पड़ सकती है।
सुविधाएं समय से पहले उपलब्ध होनी चाहिए
न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा, “तब क्या होगा? ये मानवीय मुद्दे हैं। सुविधाएं समय से पहले उपलब्ध होनी चाहिए। यह एक ऐसा हवाई अड्डा है जहां उड़ानें कई बार घंटों तक विलंबित होती हैं। एक सामान्य व्यक्ति के लिए यह देर मायने नहीं रखती, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए यह बहुत पीड़ादायक और मानसिक आघात देने वाला हो सकता है। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा उन हजारों यात्रियों से जुड़ा है जो देशभर में प्रतिदिन इस समस्या का सामना करते हैं। कोर्ट ने DGCA को एयरलाइन कंपनियों पर लापरवाही के लिए भारी जुर्माना लगाने का सुझाव दिया।
यह बुनियादी मानवाधिकारों का मामला है…
शीर्ष अदालत ने कहा, जब कोई यात्री विमान के भीतर मर जाता है या किसी अन्य गंभीर स्थिति का सामना करता है, तो यह एयरलाइनों की लापरवाही मानी जाती है। यह बुनियादी मानवाधिकारों का मामला है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि विदेशों में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है, जबकि “दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसा नहीं हो रहा है। पीठ ने कहा कि वह विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखती है, जो इन मुद्दों की समीक्षा करेगी, सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक करेगी और एक रिपोर्ट तैयार करेगी जिसे बाद में DGCA दिशा-निर्देशों के लिए विचार करेगा।